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गुजरात के आदिवासियों के लिए अरविंद केजरीवाल ने किए कई बड़े ऐलान, कहा- लागू होगा PESA

अरविंद केजरीवाल ने रविवार गुजरात के अपने दौरे के दूसरे दिन वड़ोदरा में कहा कि अगर उनकी पार्टी गुजरात में सत्ता में आती है तो राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को लागू किया जाएगा.

गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक बार फिर गुजरात पहुंचे. इस बार भी केजरीवाल का फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है.

उन्होंने गुजरात पहुँचते ही आदिवासी मुद्दे उठाए हैं. गुजरात में ‘आप’ की सरकार बनने पर मुफ्त बिजली और सबको रोजगार का वादा कर चुके केजरीवाल ने अब आदिवासी समाज के लिए कई बड़े ऐलान किए है.

अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के आदिवासियों के हर इलाके में स्कूल, मोहल्ला क्लीनिक, अस्पताल, बेघर आदिवासियों के लिए आवास और सड़क होने की गारंटी दी है. अरविंद केजरीवाल ने सभी आदिवासियों का सर्टिफिकेट बनवाने का भी ऐलान किया है.

अरविंद केजरीवाल ने रविवार गुजरात के अपने दौरे के दूसरे दिन वड़ोदरा में कहा कि अगर उनकी पार्टी गुजरात में सत्ता में आती है तो राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को लागू किया जाएगा.

केजरीवाल ने यह भी गारंटी दी कि गुजरात की आदिवासी सलाहकार समिति का नेतृत्व मुख्यमंत्री के बजाय समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा किया जाएगा.

दरअसल, संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधी प्रावधानों से संबंधित है. पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, जिसे PESA अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, को 1996 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था.

पेसा अधिनियम के तहत देश के विभिन्न राज्यों को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को मजबूत करने के लिए इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने को कहा गया था.

केजरीवाल ने कहा, “हम संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को शब्दशः लागू करेंगे. हम पेसा अधिनियम को भी सख्ती से लागू करेंगे, जो कहता है कि कोई भी सरकार ग्राम सभा की सहमति के बिना आदिवासी क्षेत्र में कार्रवाई नहीं कर सकती.”

उन्होंने कहा, “एक आदिवासी सलाहकार समिति है. इसका काम आदिवासी क्षेत्रों के विकास की निगरानी करना है कि धनराशि का उपयोग कैसे करना है. कानून कहता है कि आदिवासी सलाहकार समिति का अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए जबकि गुजरात में मुख्यमंत्री इस समिति का नेतृत्व करते हैं. यह रोका जा सकता है.”

गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने बहुत पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं और जनता को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

हाल ही में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और बेरोजगारों को नौकरी देने की गारंटी को लेकर भी ऐलान किया था.

अरविंद केजरीवाल के गुजरात प्लान में आदिवासी इलाक़े काफ़ी अहमियत रखते हैं. इसलिए उन्होंने भारतीय ट्राइबल पार्टी से समझौता किया था. भारतीय ट्राइबल पार्टी के वर्तमान में गुजरात विधान सभा में दो विधायक हैं.

इसके अलावा इस पार्टी का कई ज़िलों के आदिवासी इलाक़ों में प्रभाव है. लेकिन एक संयुक्त रैली के बाद ही बीटीपी ने आम आदमी पार्टी से दूरी बना ली है. बताया जा रहा है कि बीटीपी अब कांग्रेस के साथ गठबंधन की जुगत में है.

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