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मणिपुर हिंसा की क़ीमत: हज़ारों बच्चे स्कूलों से दूर हुए

मणिपुर में कुकी-मैती दोनों ही समुदायों के बीच हिंसा का एक दुखद पहलू यह भी है कि हज़ारों बच्चे जो राहत शिविरों (relief camps) में रह रहे हैं, स्कूल से दूर हो गए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ऐसे बच्चों की संख्या 10 हज़ार से ज़्यादा है.

मणिपुर में अलग अलग स्थानों पर बने 354 राहत शिविरों (relief camps, Manipur) में करीब 10289 छात्र-छात्राएं भी रह रहे हैं. ज़ाहिर है कि ये बच्चे फिलहाल स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. हालांकि मणिपुर के शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि उसने बेघर हुए परिवारों के बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए खा़स इंतज़ाम किये हैं.

शिक्षा विभाग के दावे के अनुसार राहत शिविरों में रह रहे करीब 5967 बच्चों को अलग अलग स्कूलों में फ्री में दाखिला दिया गया है. 

मणिपुर में हुई हिंसा में मैती और कुकी दोनों ही समुदायों के परिवार बेघर हुए हैं. यह अनुमान लगाया गया है कि करीब 45000 – 50000 लोग इस मणिपुर में हुई हिंसा की वजह से राहत कैंपों में रहने को मजबूर हुए हैं. इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिनके घर हिंसा में जला दिए गए हैं. मणिपुर में हालात अब कुछ नियंत्रण में नज़र आ रहे हैं, लेकिन तनाव बरक़रार है.

अभी भी सभी परिवारों का अपने घरों को लौटना संभव नहीं है. कुकी इलाकों में बने राहत शिविरों में काम करने वाले कुछ कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि वहां पर कम से कम 4000 ऐसे बच्चे हैं जो फ़िलहाल स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. 

मणिपुर में रिलीफ़ कैंपों में रह रहे बच्चों के स्कूलों में दाख़िले के जो दावे सरकार कर रही है उन पर भरोसा करना मुश्किल है. क्योंकि हिंसा की वजह से ये बच्चे राहत शिविर के बाहर जा ही नहीं पा रहे हैं.

इस बीच राहत देने वाली ख़बर आई है कि मणिपुर में नेशनल हाईवे- 2 को खोल दिया गया है.  लेकिन ताजा हिंसा में बिष्णुपुर जिले में तीन लोगों की मौत हुई है.

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के खोइजुमंतबी गांव में ताज़ा हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई. ये तीनों ‘विलेज वॉलेंटियर’ थे और एक अस्थायी बंकर में इलाके की निगरानी कर रहे थे. इसी बीच, कुछ अज्ञात बंदूकधारियों के साथ गोलीबारी में उनकी मौत हो गई.

पुलिस ने बताया कि शनिवार को हुई गोलीबारी में पांच अन्य लोग घायल हो गए. इन घायलों को इंफाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मणिपुर से रुक-रुक कर लगातार हिंसा की खबर सामने आ रही है. 

इसी बीच, यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) ने कांगपोकपी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग- 2 को खोल दिया है. ये दोनों संगठन कुकी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने इस हाईवे को बंद कर रखा था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद हाईवे को खोल दिया गया.

यूपीएफ और केएनओ ने रविवार को कहा कि कांगपोकपी में नेशनल हाईवे को खोलने का फैसला लिया गया है. उन्होंने बताया कि मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से यह कदम उठाया गया है.

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लगभग दो महीने से हिंसा हो रही है. जिसकी वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

मैती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुईं थीं.  

मणिपुर की हिंसा में फँसे हज़ारों लोगों में बड़ी संख्या बच्चों की है. इन बच्चों को इस हिंसा के दीर्घकालीन प्रभावों से बचाने के लिए कई तरह के कदम उठाने की ज़रूरत है.

फ़िलहाल कम से कम राहत शिविर में रह रहे बच्चों को कुछ सकारात्मक गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है.

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