HomeAdivasi Dailyलोकसभा चुनाव 2024: कुपोषण, भूख और माओवाद से परेशान कंधमाल

लोकसभा चुनाव 2024: कुपोषण, भूख और माओवाद से परेशान कंधमाल

ओडिशा की कंधमाल सीट पर 20 मई को पांचवे चरण को वोटिंग (Lok Sabha election 2024) होगी. यह ज़िला देश के 100 सबसे ग़रीब ज़िलों में शुमार है. इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत मतदाता आदिवासी हैं.

ओडिशा (Tribes of Odisha) की कंधमाल लोकसभा सीट (Kandhamal Lok Sabha Seat) सामान्य सीटों में आती जरूर है, लेकिन इस सीट पर आदिवासियों की जनसंख्या ज़्यादा है. इस लोकसभा सीट पर लगभग 30 प्रतिशत मतदाता आदिवासी हैं.

कंधमाल लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें हैं. इनमें से तीन सीटें बालीगुडा, जी उदयगिरि, फूलबणी कंधमाल ज़िले में स्थित हैं.

इसके अलावा कांतामाल और बौध सीट बौध ज़िले में हैं. वहीं दशपल्ला सीट गंजाम ज़िले में और भंजनगर सीट नयागढ़ ज़िले में स्थित हैं.

इन सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में से बालीगुडा, जी उद्यगिरि, फूलबाणी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और दशपल्ला सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

कंधमाल लोकसभा सीट सहित सात विधानसभा सीट बीजेडी(बीजु जनता दल) ने जीती थी.

ओडिशा की कंधमाल लोकसभा सीट पर बीजेडी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.

बीजेडी ने अच्युतानंद सामंत, बीजेपी ने सुकांता कुमार पाणिगढ़ी और कांग्रेस ने अमीर चंद नायक (पूर्व जीएसटी  कमिश्नर) को अपने उम्मीदवार के रूप में उतारा हैं.

कंधमाल लोकसभा क्षेत्र की समस्याएं और मांग

कंधमाल ज़िले में रहने वाले लोग लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि गोपालपुर से रायराखोल तक बनने वाली रेलवे लाइन में फूलबाणी क्षेत्र को भी जोड़ा जाए.

जिसके बाद इस साल जनवरी में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह घोषणा की थी कि फूलबणी क्षेत्र को रेलवे लाइन से जोड़ा जाएगा.

लेकिन यह पता चला है कि अभी भी इस मामले में अंतिम फ़ैसला नहीं लिया गया है.

नक्सलवाद एक बड़ी समस्या

कंधमाल लोकसभा क्षेत्र से नक्सलवाद से संबंधित कई खबरें आती रहती हैं. पिछले एक दशक से ओडिशा में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए काम किया जा रहा है. लेकिन कंधमाल, कालाहांडी और मलकानगिरी में अभी भी नक्सलवाद पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है.

भौगोलिक नज़रिए से देखे तो ओडिशा का कंधमाल और कालाहांडी छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है. नक्सलवादी अक्सर छत्तीसगढ़ के बस्तर से ओडिशा के कालाहांडी, मलकानगिरी और कंधमाल में आते-जाते रहते हैं.

छत्तीसगढ़ से ले कर ओडिशा तक यह पूरा ही इलाका माओवादी प्रभावित है.

स्वच्छ पानी की कमी

कंधमाल ज़िले के आदिवासी बस्तियों के लगभग हर गांव में स्वच्छ पानी की कमी है.

ओडिशा सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए जल जीवन मिशन के तहत 2022 तक नल कनेंक्शन देना वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

मार्च से मई तक ओडिशा में सबसे ज़्यादा ग़र्मी पड़ती है. इस समय पर आदिवासी इलाकों में पानी की सबसे ज़्यादा कमी होती है.

कुपोषण से परेशान कंधमाल

कंधमाल ओडिशा के उन ज़िलों में शामिल हैं, जहां आदिवासी जनसंख्या कुपोषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है.

2018 में ओडिशा सरकार द्वारा कुपोषण से संबंधित आकंड़े दिए गए थे. जिनके अनुसार सिर्फ कंधमाल में ही कुपोषण से 3500 मौतें हुई है.

2019 से 2021 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार कुपोषण के मामले में कुछ सुधार दर्ज हुआ है. मसलन इस दौरान औसत कम वज़न के बच्चों की जनसंख्या 43.1 प्रतिशत से घटकर 35.40 प्रतिशत हो गई है.

लेकिन अभी भी कंधमाल को कुपोषण को ख़त्म करने के लिए लंबा रास्ता तय करना है.

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