HomeAdivasi Dailyपुणे के आदिवासी हॉस्टल में फैला कोविड-19, पर हॉस्टल खुला क्यों था?

पुणे के आदिवासी हॉस्टल में फैला कोविड-19, पर हॉस्टल खुला क्यों था?

प्रशासन की तरफ़ से जानकारी दी गई है कि इस हॉस्टल के 60 और छात्रों का कोविड-19 टेस्ट किया गया है. इन टेस्ट की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. जो छात्र कोविड पॉज़िटिव पाए गए हैं, उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती कर दिया गया है. लेकिन सवाल ये है कि आख़िर महामारी के इस दौर में ये छात्र हॉस्टल में क्यों और कैसे रह रहे थे. क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही सभी स्कूल और हॉस्टल बंद करने के आदेश दिए हुए हैं.

पुणे के एक आदिवासी स्कूल हॉस्टल में कम से कम 14 छात्रों को कोविड पॉज़िटिव पाया गया है. इन 14 छात्रों में से 12 लड़कियाँ  हैं जो कोविड-19 पॉज़िटिव पाई गई हैं. यह आदिवासी स्कूल पुणे से क़रीब 80 किलोमीटर दूर अमले नाम के गाँव में है. 

पुरंदर तहसील की मेडिकल ऑफ़िसर उज्जवला मोहिते ने मीडिया को बताया है कि ये सभी छात्रों asymptomatic थे. यानि ये छात्र कोरोना संक्रमण से पीड़ित थे लेकिन इनमें संक्रमण के लक्षण नज़र नहीं आ रहे थे. 

प्रशासन की तरफ़ से जानकारी दी गई है कि इस हॉस्टल के 60 और छात्रों का कोविड-19 टेस्ट किया गया है. इन टेस्ट की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. जो छात्र कोविड पॉज़िटिव पाए गए हैं, उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती कर दिया गया है.

लेकिन सवाल ये है कि आख़िर महामारी के इस दौर में ये छात्र हॉस्टल में क्यों और कैसे रह रहे थे. क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही सभी स्कूल और हॉस्टल बंद करने के आदेश दिए हुए हैं.

इस मसले पर प्रशासन फ़िलहाल कोई जवाब नहीं दे रहा है. प्रशासन का कहना है कि इस मामले की जाँच की जाएगी. 

पुणे के ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार शनिवार को पुणे के ग्रामीण इलाक़ों में कोविड-19 के कम से कम 4302 नए मामले सामने आए हैं. जबकि शहरी इलाक़ों में 2837 मामले मिले हैं.

शनिवार को कोरोना संक्रमण की वजह से कम से कम 133 मौतें भी दर्ज की गई हैं. पुणे ज़िले में फ़िलहाल एक लाख से ज़्यादा एक्टिव कोविड-19 केस हैं. 

कोविड-19 की दूसरी लहर ने पहली लहर की तुलना में ग्रामीण इलाक़ों में काफ़ी ज़्यादा नुक़सान किया है. ग्रामीण इलाक़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की वजह से यहाँ बड़ी तादाद में लोगों में संक्रमण रिपोर्ट ही नहीं हो पाता है.

इसके अलावा ग्रामीण और आदिवासी इलाक़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की वजह से इस संक्रमण से ग्रस्त लोगों को समय से ज़रूरी इलाज़ नहीं मिल पता है.

हालाँकि जो हालात हैं उनमें तो शहरों में भी लोग बिना दवा और ऑक्सीजन के दम तोड़ रहे हैं. 

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