एक तरफ़ जहां सरकारें और स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोविड-19 की दूसरी लहर से संवेदनशील आदिवासी समुदायों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं केरल के वायनाड ज़िले में एक अंतिम संस्कार आदिवासी बस्तियों में कोविड का सुपर स्प्रेडर बन गया है.
अब तक 15 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं, और कम से कम 35 लोग ऐसे हैं जो उच्च जोखिम वाले संपर्क हैं.
अंतिम संस्कार का आयोजन 4 मई को पडिंजारतरा की पूलमचलयिल आदिवासी कॉलोनी में किया गया था. मृतक का एक रिश्तेदार इस बात से अनजान था कि उसे कोविड-19 है.
एक स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक़ समारोह के बाद यह पता चला कि उस आदमी को कोविड-19 था. यह जानकारी मिलने पर संक्रमित आदमी के संपर्कों का पता लगाया गया, और उन सब का परीक्षण किया गया.
शुरु के टेस्ट में सात पॉज़िटिव निकले, और उसके बाद आठ और लोगों का सकारात्मक परीक्षण परिणाम आया.
अंतिम संस्कार में आसपास की आदिवासी कॉलोनियों के लोग भी शामिल हुए थे. उनके बीच भी वायरस संचरण की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता. इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने कॉलोनियों के निवासियों को निगरानी में रहने का निर्देश दिया है.
स्वास्थ्य विभाग अब मंगलवार को कॉलोनियों के सभी निवासियों का एंटीजन टेस्ट करेगा.
इस पहाड़ी ज़िले की आदिवासी बस्तियों में कोविड-19 की दूसरी लहर में ज़्यादा पॉज़िटिव मामले देखे जा रहे हैं. अधिकारियों के लिए चिंताजनक बात यह है कि आदिम जनजाति समूह पनिया में वायरस का प्रसार ज़्यादा है.
अब तक 2,451 आदिवासियों को कोविड-19 हुआ है. उनमें से 1,381 लोग ठीक हुए हैं और दो की मौत हो गई है. फ़िलहाल इस बीमारी के लिए 1,068 आदिवासियों का इलाज चल रहा है.
वायनाड की चिकित्सा अधिकारी डॉ आर रेणुका का कहना है कि आदिवासी इलाक़ों में कोविड-19 का फैलना एक बड़ी चुनौती है. उनके मुताबिक़ स्वास्थ्य विभाग प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है.
इन कॉलोनियों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया है, और बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक है.