झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और उनके दो साथियों के बारे में अगले साल से राज्य के पाठ्यक्रम में एक चैप्टर जोड़ा जाएगा. इस सिलसिले में राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महत्तो ने घोषणा करते हुए कहा कि शिबू सोरेन के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और झारखंड आंदोलन में उनके योगदान के बारे में स्कूलों में पढ़ाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन के अलावा बिनोद बिहारी महतो और निर्मल महतो के बारे में पाठ्यक्रम में अध्याय जोड़ा जाएगा. जगरनाथ महतो ने यह बातें अपने बोकारो दौरे पर कही हैं.
इससे पहले सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को हरे रंग में पुतवाने का आदेश भी दिया था. झारखंड राज्य का निर्माण साल 2000 में हुआ था. उस समय सभी सरकारी स्कूलों को गुलाबी रंग में पुतवाने का फ़ैसला किया गया था.
शिबू सोरेन फ़िलहाल राज्य सभा के सांसद हैं. उनकी पार्टी जेएमएम राज्य में कांग्रेस के सहयोग से सरकार चला रही है. उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा हरे रंग का है और इसलिए सरकारी स्कूलों को हरे रंग से पुतवाने के फ़ैसले से विपक्ष बहुत खुश नहीं है. राज्य में बीजेपी मुख्य विपक्षी दल है.
शिबू सोरेन के बारे में अध्याय पाठ्यक्रम में जोड़े जाने के फ़ैसले पर बीजेपी नाराज़ है. बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर सरकार शिबू सोरेन के बारे में छात्रों को पढ़ाना ही चाहती है तो क्या उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में भी बताया जाएगा?
गठबंधन सरकार में सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने सरकार के फ़ैसले का स्वागत किया है.
झारखंड के वरिष्ठ आदिवासी नेता शिबू सोरेन 78 साल के हो चुके हैं. शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था. 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की.
1972 में ट्रेड यूनियन के नेता एके राय, बिनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन ने मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया. शिबू सोरेन ने जमींदारों के खिलाफ आंदोलन भी चलाया था. शिबू सोरेन झारखंड में गुरुजी के नाम से बुलाए जाते हैं. उनके साथ काम करने वाले बिनोद बिहारी महतो का निधन 1991 में हो गया.
झारखंड में समाज सुधार के क्षेत्र में विनोद बिहारी महतो का अहम योगदान है. निर्मल महतो की मात्र 36 साल की उम्र में 8 अगस्त 1987 को हत्या कर दी गई थी.