राजनीतिक दलों पर छल करने का आरोप लागते हुए सर्व आदिवासी समाज ने इस बार छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
इसके लिए सर्व आदिवासी समाज ने निर्वाचन आयोग को हमार राज पार्टी और बाल्टी छाप को मंजूरी देने के लिए अर्जी दी है.
सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने यह ऐलान किया है कि छत्तीसगढ़ की 29 आदिवासी आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के अलावा पार्टी कम से कम 21 और सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
यानि पार्टी कुल 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है.
आरक्षित सीटों के अलावा आदिवासी समाज की बड़ी आबादी वाली अनारक्षित सीटों पर भी सर्व आदिवासी समाज की जीत की संभावना तलाश रही है.
रविवार के विधानसभा मुख्यालय में स्थित सामुदायिक भवन में सर्व आदिवासी समाज ने बैठक की है. जिसमें ध्रुव गोंड, कंवर, नगाचरी और कंडरा समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होने का दावा किया गया.
छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव
छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव की तारीखों का आज ही यानि 9 सिंतबर 2023 को ऐलान हुआ है. चुनाव कार्यक्रम के अनुसार राज्य में नक्सलवाद की चुनौती को ध्यान में रखते हुए दो चरणों में चुनाव का फैसला किया गया है.
पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा जबकि दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को होगा. वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में नए समीकरण
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लड़ाई अक्सर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही रही है. मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वजूद ज़रूर रहा है.
लेकिन यह दल भी राज्य के सभी आदिवासियों की पार्टी होने का दावा नहीं कर सकती थी. लेकिन राज्य की राजनीति में जयस नाम के संगठन के उभार ने राज्य की राजनीति में नए समीकरण पैदा किये हैं.
इस बार जयस का कहना है कि वह भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयार कर रहा है.
उधर राजस्थान में हाल ही में भारत ट्राइबल पार्टी का गठन हुआ है. यह माना जा रहा है कि यह पार्टी कम से कम दक्षिण राजस्थान की 17 आरक्षित सीटों पर अच्छी स्थिति में है.
अब सर्व आदिवासी समाज के चुनाव में उतरने के बाद छत्तीसगढ़ में भी दिलचस्प स्थिति बन रही है.
वैसे जानकार ये मान रहे हैं कि कम से कम छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नई आदिवासी पार्टियों के आगमन से कांग्रेस को फ़ायदा हो सकता है.
क्योंकि उनकी उपस्थिति से सत्ता विरोधी वोट बंद सकता है.