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आदिवासियों के धर्मांतरण पर नाराज़गी, अपनी परंपरा और आस्थाओं पर गर्व का आह्वान

सर्व आदिवासी समाज राजापड़ाव क्षेत्र के मुखिया दलसू राम मरकाम ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी समाज न्याय संगत कार्यवाही करने के लिए रणनीति बनाएगी.

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर राजापड़ाव क्षेत्र में सर्व आदिवासी समाज ने कथित धर्म परिवर्तन के मसले पर एक बैठक की. इस बैठक में सैकड़ों लोगों के भाग लेने का दावा किया गया है. इस बैठक में क्षेत्र के सर्वआदिवासी समाज के मुखिया दलसू राम मरकाम, जनपद सभापति घनश्याम मरकाम ने बैठक की अध्यक्षता की.

इस बैठक में शामिल नेताओं ने आरोप लगाया कि आदिवासी परिवारों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराया जा रहा है. बैठक में शामिल लोगों ने इस कोशिश में लगे ईसाई संगठनों के खिलाफ विरोध जताया. लोगों ने कहा कि आदिवासियों की अपनी संस्कृति, पूजा पद्धति, रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार, पारंपरिक व्यवस्था है. साथ ही देवी-देवताओं के प्रति आस्था अनादिकाल से है.

बैठक में मौजूद समाज के मुखियाओं ने कहा कि जानबूझकर आदिवासी समुदाय के अस्तित्व को मिटाने के लिए कुछ सालों से क्षेत्र में भोले-भाले गरीब आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराने वाले लोगों ने इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं. ये लोग आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सहयोग का लालच देकर जबरदस्ती ईसाई धर्म अपनाने के लिए बड़ी चालाकी से षड्यंत्र कर रहे हैं. 

जिसके चलते क्षेत्र के बहुत सारे परिवार ईसाई धर्म अपनाते हुए अपने पुश्तैनी पारंपरिक व्यवस्था, रीति रिवाज, पूजा पद्धति को नकारते हुए ईसाई धर्म के नियमों के आधार पर चलने के लिए मजबूर हैं. जिस कारण परिवार में ही लड़ाई, झगड़ा, मारपीट होने लगा है. 

उनका कहना है कि शांत वातावरण वाले इलाके में लगातार अशांति फैल रही है जिसको आदिवासी समाज कभी बर्दाश्त नहीं करेगा.

सर्व आदिवासी समाज राजापड़ाव क्षेत्र के मुखिया दलसू राम मरकाम ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी समाज न्याय संगत कार्यवाही करने के लिए रणनीति बनाएगी. बैठक को संबोधित करते हुए जनपद सभापति और आदिवासी नेता घनश्याम मरकाम ने कहा कि हमारे धर्म संस्कृति पर प्रहार करने वाले भोले-भाले आदिवासियों को बहला-फुसलाकर के ईसाई धर्म अपनाने के लिए षड्यंत्र करने वालों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 

आर्थिक सहयोग और इलाज के नाम पर अपने धर्म को प्रचार-प्रसार करने के लिए क्षेत्र में लोग सक्रिय हैं. समय रहते इस पर अंकुश लगाना जरूरी होगा नहीं तो हमारी धर्म संस्कृति पर ख़तरा मंडराना स्वभाविक है.

आदिवासी परिवारों में कहीं किसी को जन्म-मरण या दूसरे कामों पर आर्थिक सहयोग किए जाने के लिए हर एक परिवार से 10 रुपए सहयोग राशि जमा की जाएगी जो जरूरतमंद के लिए काम आएगी. साथ ही न्याय संगत कार्रवाई के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से बात की जाएगी. हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से यह कहा गया था कि वर्तमान सरकार के शासन में धर्मांतरण कम हुआ है.

वर्तमान सरकार ने यह भी दावा किया कि दरअसल बीजेपी के शासन काल में राज्य के भीतर ज्यादा चर्चों का निर्माण हुआ था. 

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