HomeAdivasi Dailyदुनिया से फिर जुड़ेंगे ये आदिवासी गाँव, पुल बनाए जा रहे हैं

दुनिया से फिर जुड़ेंगे ये आदिवासी गाँव, पुल बनाए जा रहे हैं

2019 में केरल में आई बाढ़ में इन पांचों बस्तियों तक पहुंचने के लिए बने तीन पुल बह गए थे. तब से इरुट्टुकुत्ती, वनियमपुझा, तंदनकल्लू, तरिप्पपोटी और कुंबलप्पारा की बस्तियां बाहरी दुनिया से कटी हैं.

मलप्पुरम ज़िला प्रशासन ने पांच आदिवासी बस्तियों को बाहरी दुनिया से फिर से जोड़ने के लिए निलंबूर के पास मुंडेरी में चलियार नदी पर एक पुल के पुनर्निर्माण की कवायद तेज़ कर दी है.

2019 में केरल में आई बाढ़ में इन पांचों बस्तियों तक पहुंचने के लिए बने तीन पुल बह गए थे. तब से इरुट्टुकुत्ती, वनियमपुझा, तंदनकल्लू, तरिप्पपोटी और कुंबलप्पारा की बस्तियां बाहरी दुनिया से कटी हैं.

ज़िला कलेक्टर वी.आर. प्रेमकुमार ने इस हफ़्ते वनियमपुझा का दौरा कर आदिवासियों के साथ बैठक की. चर्चा के बाद उन्होंने लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों को जल्द से जल्द निरीक्षण करने और नदी पर तीन मीटर चौड़े पुल के लिए एक अनुमान तैयार करने के लिए कह दिया है.

कलेक्टर प्रेमकुमार ने द हिंदू को बताया, “हमने मामले की ज़रूरत को देखते हुए पीडब्ल्यूडी से इस काम को जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए कहा है.”

बाहरी दुनिया से कटे घने जंगल में रहने वाले इन आदिवासी परिवारों पर अब तक अखबारों में कई रिपोर्ट छप चुकी हैं. ज़िला प्रशासन ने आखिरकार हालात की गभीरता को देखते हुए जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है. हालांकि पुल का निर्माण जंगल की सीमा के अंदर होने है, तो इसकी प्रक्रिया लंबी हो सकती है. लेकिन कलेक्ट ने भरोसा दिलाया है कि इसमें तेजी लाई जाएगी.

पीडब्ल्यूडी को पुल के डिज़ाइन और बजट का अनुमान तैयार करने से पहले मिट्टी के परीक्षण समेत कुछ जांच करनी होगी. इसके बाद ही सरकार को फ़ंड की मंज़ूरी के लिए बजट भेजा जाएगा. एक आश्वासन यह है कि वन विभाग ने तीन मीटर लबे पुल के लिए सहमति दे दी है.

कलेक्टर एवं सब-कलेक्टर के अलावा निलंबूर उत्तर डीएफओ, एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना के वरिष्ठ अधिकारी, पीडब्ल्यूडी और केएसईबी के इंजीनियर बैठक में मौजूद थे. केएसईबी के इंजीनियरों ने ज़िला प्रशासन से वादा किया है कि एक महीने के अंदर बिजली लाइनों को फिर से लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा.

अगस्त 2019 में आई बाढ़ में यह इलाक़ा पूरी तरह से तबाह हो गया था. उस बाढ़ में नदी के किनारे की सड़कें और बिजली की लाइनें भी नष्ट हो गई थीं. तब से आदिवासियों को मेनलैंड तक पहुंचने के लिए बांस की नाव का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, क्योंकि बाढ़ बस्तियों को जोड़ने वाले तीनों पुलों को बहा ले गया.

2019 में पूर्व जिला कलेक्टर जाफ़र मलिक और उनके सहयोगियों ने फ़ंड जुटाकर एक हैंगिंग ब्रिज बनाया, लेकिन वो अगले मॉनसून तक ही चला.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments