ओडिशा के रायगड़ा ज़िले में पंचायत चुनाव के लिए ज़िला परिषद सीटों के आरक्षण पर आदिवासी संगठनों ने नाराज़गी जताई है. आदिवासियों का आरोप है कि राजनीतिक और चुनावी प्रतिनिधित्व के लिए सीट आरक्षण में उनके हितों को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है. वो भी तब जब ज़िले की ज़्यादातर आबादी आदिवासी है.
ज़िले के आदिवासी कहते हैं कि सिर्फ़ एक निर्वाचित आदिवासी ही उनके हितों की देखभाल कर सकता है. अब संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर कुछ इलाक़ों में सीट आरक्षण का फ़ैसला वापस नहीं लिया गया, तो आदिवासी चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा है कि काशीपुर में कुछ ज़िला परिषद की सीटें अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए. उन्होंने पंचायत चुनाव से पहले मांग पर विचार नहीं करने पर काशीपुर में बंद घोषित करने की चेतावनी दी है.
2011 की जनगणना के अनुसार, काशीपुर ब्लॉक में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या सबसे अधिक है, लेकिन जिला प्रशासन ने पंचायत सीटों के आरक्षण का प्रस्ताव करते हुए इस तथ्य की पूरी तरह से अनदेखी की है.
“काशीपुर में तीन ZP सीटें एसटी लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिएं. नहीं तो हम इन सीटों पर चुनाव नहीं होने देंगे. हमें कानून को अपने हाथ में लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है,” आदिवासी समाज के नेता उपेंद्र मांझी और गजेंद्र मांझी ने कहा.
पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की ड्राफ़्ट सूची के अनुसार काशीपुर ज़ोन-ए को एससी महिलाओं के लिए, काशीपुर ज़ोन-बी को एससी पुरुषों के लिए, और काशीपुर ज़ोन-सी को ओबीसी लोगों के लिए आरक्षित किया गया है.
आदिवासी नेता 16 अक्टूबर को इस मुद्दे को उठाने के लिए ज़िला प्रशासन से मिले थे. अब उनका प्लान है कि वो आने वाले दिनों में विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों के पर्यवेक्षकों को अपनी मांगों और चिंताओं के बारे में बताएंगे.