HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़: सड़कों पर नग्न प्रदर्शन करने वाले पुरुषों की जमानत याचिका खारिज

छत्तीसगढ़: सड़कों पर नग्न प्रदर्शन करने वाले पुरुषों की जमानत याचिका खारिज

पुलिस ने 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर अपराध संख्या 213/23 धारा 146 (गैरकानूनी रूप से एकत्र होकर हिंसा करना), 147, 353, 332, 294 और 67 (ए) आईटी एक्ट के तहर केस दर्ज कर जेल भेज दिया.

छत्तीसगढ़ में इन दिनों फर्जी जाति प्रमाणपत्र का मामला गर्माया हुआ है. मंगलवार को राज्य की राजधानी रायपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कुछ लोगों ने निर्वस्त्र होकर विरोध-प्रदर्शन किया.

और इस मामले को लेकर बुधवार को विधानसभा का सत्र बेहद हंगामे भरा रहा. इस दौरान विरोध, नारेबाजी हुई और विपक्षी विधायकों को निलंबित भी किया गया. विधानसभा सत्र के पहले दिन दो दर्जन आदिवासी-दलित युवकों के कपड़े उतारकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है.

प्रदर्शनकारियों ने राज्य विधानसभा तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन रायपुर पुलिस ने उन्हें बीच में ही हिरासत में ले लिया. इस मामले में 29 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस के द्वारा जारी किए प्रेस नोट के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन की जांच करने पर उनके द्वारा नग्न कर बनाया गया अश्लील वीडियो अलग-अलग सोशल मीडिया ग्रुपों में वायरल भी किया गया था.

पुलिस ने 29 आरोपियों को गिरफ्तार कर अपराध संख्या 213/23 धारा 146 (गैरकानूनी रूप से एकत्र होकर हिंसा करना), 147, 353, 332, 294 और 67 (ए) आईटी एक्ट के तहर केस दर्ज कर जेल भेज दिया.

जमानत याचिका खारिज

वहीं इस मामले में छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने आज गिरफ्तार किए 29 लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

वकील प्रमोद नवरत्न ने कहा कि हमने तर्क दिया कि ये युवा छात्र हैं और अपने अधिकारों के लिए विरोध कर रहे थे. उन पर दंगा करने और पुलिस पर हमला करने के झूठे आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है. माननीय अदालत ने यह कहते हुए उनकी जमानत खारिज कर दी कि प्रदर्शनकारी अलग-अलग जिलों से हैं, इस कृत्य से लोगों को असुविधा हुई और अगर इस स्तर पर उन्हें जमानत का लाभ दिया जाता है तो इससे इस तरह के और विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा मिलेगा.

फर्जी जाति प्रमाणपत्र धारकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

दरअसल, युवावों का समूह छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार में कार्यरत लोगों को फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आरोप लगा विरोध कर रहा था.

प्रदर्शन करने वालों के नेता विनय कौशल ने मीडिया को बताया कि फर्जी प्रमाणपत्र मामले पर उन्होंने अधिकारियों से बात की है. उन्होंने दावा किया कि 250 से अधिक लोगों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुचित लाभ उठाया है और सरकारी नौकरियों में हैं.

उन्होंने कहा कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर 264 लोग सरकारी नौकरियों में हैं. हमने 16 मई को आमरण अनशन किया था लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस मामले में कुछ नहीं किया. हम सिर्फ उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करवाना चाहते हैं, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके गलत लाभ उठाया है.

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि उन्होंने ध्यान आकर्षित करने, जनता और सरकार के सामने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे को उजागर करने के लिए नग्न विरोध प्रदर्शन किया था.

इस घटना ने देश का ध्यान खींचा क्योंकि राहगीरों ने सड़क पर नग्न मार्च कर रहे और नारे लगाते हुए लोगों के कथित वीडियो बनाए और सोशल मीडिया पर पोस्ट किए.

बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला

राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सत्तारूढ़ भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठाया.

छत्तीसगढ़ बीजेपी के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया कि राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुए नग्न प्रदर्शन पर बीजेपी विधायक दल ने राजभवन मार्च किया. सभी ने एक स्वर में कहा कि जनता को प्रताड़ित करने वाली कांग्रेस सरकार जनमत खो चुकी है. ये भूपेश सरकार सिर्फ छत्तीसगढ़ पर कलंक ही लगवा रही है.

वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रमन सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दलित और आदिवासी युवाओं ने इस सरकार से न्याय पाने की सारी उम्मीदें खो दी थीं. इस सरकार ने उन युवाओं की मांगों के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई, जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध कर रहे थे.

रमन सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, “प्रदेश की जनता का हक मारकर कांग्रेस की झोली भरना ही इस सरकार का एकमात्र उद्देश्य रह गया है. SC-ST वर्ग के युवाओं को निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने पर मजबूर करने बाद भी दाऊ भूपेश बघेल ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई. उल्टा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर एक बार फिर अपने जंगलराज का नमूना प्रस्तुत किया है.”

छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग के 25 नवंबर, 2020 के एक आदेश पत्र में कहा गया था कि उसने 2000-2020 के बीच फर्जी जाति प्रमाण पत्र के 267 मामलों की पहचान की गई है.

बीजेपी के आरोपों के जवाब में कांग्रेस पार्टी ने कहा कि 269 मामलों में कार्रवाई की गई है और 40 लोगों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है जबकि बर्खास्तगी के 90 मामलों पर अदालत ने रोक लगा दी है और 16 मामलों में लोग या तो मर चुके हैं या रिटायर हो चुके हैं.

हाई लेवल कमेटी गठित

रायपुर की सड़कों में युवाओं के नग्न प्रदर्शन का मामला तूल पकड़ने के बाद सरकार ने हाई लेवल कमेटी गठित कर दी है. ये कमेटी पूरे मामले की जांच करेगी. बताया जा रहा है कि इस कमेटी के आधार पर दोषी पाया जाएगा उसे सरकारी नौकरी से हटा दिया जाएगा.

लंबे समय से युवाओं का आरोप है कि राज्य सरकार के कई विभागों में अधिकारी और कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

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