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मणिपुर वायरल वीडियो: डैमेज कंट्रोल नहीं, राजनीतिक जवाबदेही तय करने की ज़रूरत है

बीजेपी शासित राज्यों में संगीन अपराधों पर जवाबदेही तय करने की बजाए जनता के गुस्से को ठंडा करने की तरकीबें निकाली जाती हैं. इनमें अपराधी के घर पर बुलडोज़र चलाना, गाड़ी पलटना या फिर क्रोध की मुद्रा बना कर बयान देना शामिल है. मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो शर्मसार करने वाली वारदात हुई है उसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के बयान कुछ कुछ ऐसे ही हैं.

आज यानि 20 जुलाई की सुबह अचानक मणिपुर के मामले में देश की आत्मा जाग गई. दरअसल मणिपुर से दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और उनके साथ गैंग रेप का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल भी था.

 संसद का मानसून सत्र भी आज से ही शुरू होना था. संसद के हर सत्र से पहले रस्मी तौर पर प्रधानमंत्री मीडिया के ज़रिये विपक्ष से संसद की कार्रवाई में सकारात्मक सहयोग की अपील करते हैं. 

लेकिन आज उन्होंने हर सत्र में दिये जाने वाले रस्मी बयान के अलावा मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुए शर्मनाक और ख़तरनाक अपराध पर भी बयान दिया. मणिपुर में करीब ढाई महीने से चल रही हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह पहला बयान है.

उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो महिलाओं के साथ हुआ उससे देश की बेइज्जती हुई है. इसके साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया है कि अपराधियों को छोड़ा नहीं जाएगा. 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह (N Biren Singh) के हवाले से भी ख़बर चलनी शुरू हो गई हैं. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हवाले से बताया जा रहा है कि उन्होंने कहा है कि वे दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घूमाने और गैंगरेप के वीडियो के सामने आने से सदमे में है. उन्होंने कहा है कि अधिकारियों को आदेश दे दिया गया है कि इस मामले में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाए. 

लेकिन उनकी जिस बात को सबसे ज़्यादा मीडिया में उछाला जा रहा है वह है कि उन्होंने इस मामले में शामिल लोगों के लिए मौत की सज़ा मांगी है. उनका यह बयान शायद एक सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया है. क्योंकि मणिपुर में कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र करके घूमाने का जो वीडियो वायरल होने के बाद पूरी दुनिया को यह पता चला है कि वहां हो क्या रहा है. 

लेकिन एन बीरेन सिंह यह नहीं कह सकते हैं कि उन्हें भी इस वीडियों के सामने आने के बाद इस अपराध के बारे में पता चला है. इस अपराध की शिकार हुई महिलाओं ने बाकायदा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस अधिकारी भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं. 

दो कुकी महिलाओं के साथ जो बदसलूकी की यह वारदात 4 मई को हुई है. यानि करीब ढाई महीने इस घटना को बीत चुके हैं. जिन महिलाओं पर यह बेहद शर्मनाक ज़ुल्म किया गया उनमें से एक ने मीडिया को यह बताया है कि जब यह सब हुआ उस वक्त मौके पर पुलिस भी मौजूद थी.

यह भी बताया जा रहा है कि जिस पुलिस अधिकारी ने कांगपोकपी में इन महिलाओं की शिकायत दर्ज की थी उनका ट्रांसफ़र कर दिया गया था. इस मामले में अभी तक जो तथ्य सार्वजनिक हुए हैं उनसे यह पता चलता है कि पूरे देश को कैसे मणिपुर के बारे में अंधेरे में रखा गया है.

क्या मणिपुर में हुई इतनी बड़ी वारदात के बारे में केंद्रीय गुप्तचर ऐजेंसी भी अंधेरे में थीं. अगर ऐसा है तो यह निश्चित ही बड़े अफ़सोस और डराने वाली बात है. 

इस घटना के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री का यह कहना कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा और मुख्यमंत्री का यह दावा कि दोषियों को मौत की सज़ा दिलवाई जाएगी, एक ऐसी रणनीति है जो बीजेपी का डैमज कट्रोल के लिए कई राज्यों में सफल हो चुकी है.

उत्तर प्रदेश में कई पुलिस वालों को मार देने वाले विकास दुबे की गाड़ी पलटने से लेकर हाल ही में मध्य प्रदेश में आदिवासी व्यक्ति के उपर पेशाब करने वाले प्रवेश शुक्ला के घर पर बुलडोज़र चलवाने के पैंतरे से दो संगीन अपराधों में बीजेपी ने लोगों के गुस्से को ठंडा करने में कामयाबी पाई है.

उसी तरह से मणिपुर के मामले में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करीब ढाई महीने से राज्य में चल रही हिंसा पर खामोश रहे, लेकिन उन्होंने महिलाओं के साथ हुई वारदात का वीडियो वायरल होने के बाद यह ऐलान किया कि वे इस घटना से दुखी और क्रोधित हैं. हांलाकि इस मामले में बीजेपी या प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से अपनी पार्टी की सरकार या मुख्यमंत्री की जवाबदेही तय करने की बात नहीं कही है.

मणिपुर में हिंसा के संदर्भ में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर गंभीर आरोप लगे हैं. राज्य की कुकी जनजाति उन पर बिलकुल भी भरोसा नहीं कर रही है. गृहमंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे में कुकी नेताओं ने उन्हें यह बात बताई भी थी.

मणिपुर हिंसा मे दो महिलाओं पर यौन अत्याचार का वीडियो वायरल हुआ है. लेकिन ऐसे कई और मामले हैं जो रिपोर्ट नहीं हुए हैं.

मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ है वह अमानवीय है, लेकिन उसके अलावा भी मणिपुर में ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो देश को पता नहीं है.

कुकी और मैती समुदायों के बीच नफ़रत की इंतहा हो चुकी है. दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे को सिर्फ मार नहीं रहे हैं, बल्कि लाशों से खेल रहे हैं, उनकी दुर्गति कर रहे हैं.

राज्य में 160 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लेकिन इंटरनेट बंद होने की वजह से देश को ये ख़बरें आधी अधूरी ही मिल पाती हैं.

आज सुप्रीम कोर्ट ने भी मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई वारदात पर नारज़गी प्रकट की है. कोर्ट ने कहा है कि शुक्रवार तक सरकार इस मामले में कार्रावाई करे नहीं तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा.

इस पृष्ठभूमि में अगर केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी सच में मणिपुर में शांति बहाली के संजीदा प्रयास करना चाहती है और अगर पीड़ित महिलाओं को इंसाफ़ दिलाना चाहती है तो पहले राज्य में राजनीतिक जवाबदेही और शुचिता सुनिश्चित करनी होगी. 

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