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मणिपुर यौन हिंसा की पीड़िता का आरोप – पुलिस ने ही भीड़ के हवाले कर दिया था

पीड़ित महिलाओं द्वारा दी गई शिकायत में यह कहा गया है कि जब भीड़ ने उन्हें पकड़ा तब वो थौबल के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों के साथ थीं.

मणिपुर यौन हिंसा मामले ने देश को हिलाकर रख दिया है. दो कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वायरल वीडियो ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ राज्य पुलिस पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. बल्कि अब तो पुलिस पर ही इस घटना में हाथ होने का आरोप लगाया गया है.

दो पीड़ित महिलाओं में से एक ने बताया है कि खुद पुलिस ने ही उन्हें भीड़ को सौंपा था.

घटना के वीडियो में दो महिलाएं दिख रही हैं. उनमें से एक की उम्र 40 साल से ज्यादा बताई गई है और दूसरी महिला करीब 21 साल है. रिपोर्ट के मुताबिक, इसी पीड़ित महिला ने बताया, “हमारे गांव पर हमला करने वाली भीड़ के साथ पुलिस भी थी. पुलिस ने ही हमें घर के पास से उठाया. हमें गांव से कुछ दूर ले गए और बीच रास्ते में भीड़ को सौंप दिया. हमें पुलिस ने ही भीड़ के हवाले किया था.”

महिला ने आगे कहा कि भीड़ ने हमारे साथ जो किया वो किया. फिर हमें वहीं छोड़ दिया. हम किसी तरह वहां से भागे.

महिला ने बताया कि उसे या उसके परिवार को इस घटना के वीडियो के बारे में कुछ नहीं पता था. भीड़ में बहुत सारे लोग थे. महिला ने कहा कि वो कुछ लोगों की पहचान कर सकती है. बताया कि एक आरोपी उसके भाई का दोस्त हुआ करता था.

इससे पहले घटना की दूसरी पीड़ित महिला ने बताया है कि मैतई समुदाय के लोगों की भीड़ ने उन्हें नग्न होने पर मजबूर किया, उनकी परेड निकाली, हिंसक तरीके से छुआ. इस महिला के मुताबिक तीन आरोपी उसे धान के खेत में ले गए थे. वहां एक आरोपी ने रेप करने की बात भी कही थी लेकिन आखिर में उन्होंने महिला को छोड़ दिया.

SP बोले मौके पर नहीं थे जवान

दरअसल, राज्य में दो महिलाओं के साथ हुई शर्मसार कर देने वाली घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में आक्रोश है. सवाल उठ रहे हैं कि शिकायत दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने एक्शन लेने में दो महीने क्यों लगा दिए?

इस बारे में जब पुलिस अधीक्षक सचिदानंद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस “सबूतों की कमी” की वजह से अब तक “कोई कार्रवाई नहीं कर सकी”.

उन्होंने कहा कि हमें कल ही वीडियो के बारे में पता चला. अब क्योंकि हमारे पास वीडियो के रूप में सबूत है तो हमने एक्शन लेना शुरू कर दिया है और गिरफ्तारियां की जा रही हैं. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि घटना के बाद पीड़ित महिलाओं के थौबल में ना होने की वजह से भी एक्शन लेने में देरी हुई.

पीड़ित महिलाओं द्वारा दी गई शिकायत में यह कहा गया है कि जब भीड़ ने उन्हें पकड़ा तब वो थौबल के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों के साथ थीं.

जब एसपी से सवाल किया गया कि घटना के समय महिलाओं के साथ मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी भी अपराधी की पहचान क्यों नहीं की तो उन्होंने जवाब दिया, “उसी दिन नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन से भीड़ ने हथियार लूटने की कोशिश की थी. पुलिस थाने की सुरक्षा में जुटी थी.”

उन्होंने कहा कि शिकायत में यह आरोप सही नहीं है. पुलिस मौके पर मौजूद नहीं थी.

मामले में एक्शन में हुई देरी की एक वजह पुलिस थानों के बीच केस के ट्रांसफर होने में समय लगना बताया जा रहा है. इस घटना की शिकायत पर कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो FIR दर्ज की गई थी. इसके बाद 21 जून को यह मामला नोंगपोक सेकमाई के संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर किया गया.

मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज FIR में रेप, किडनैपिंग और मर्डर सहित कई धाराओं के तहत “लगभग 900 से 1 हज़ार की संख्या में अज्ञात बदमाशों” के खिलाफ ममला दर्ज किया गया था.  

अब तक क्या कार्रवाई हुई

4 मई की इस घटना का वीडियो गुरुवार, 20 जुलाई को वायरल हुआ तो आम लोगों से लेकर सरकार तक हिल गई. मीडिया-सोशल मीडिया पर हंगामा मचा तो मणिपुर सरकार ने कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की बात कही. पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपी सहित 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

गिरफ्तार किए गए चार लोगों के नाम हैं- मुख्य आरोपी हुइरेम हेरादास, अरुण सिंह, जीवन इलांगबाम और तोम्बा सिंह.

मणिपुर पुलिस के मुताबिक,  अरुण सिंह, जीवन इलांगबाम और तोम्बा सिंह मणिपुर के थॉउबल जिले के रहने वाले हैं. इन्हें वायरल वीडियो की मदद से पहचान करके गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक, इन आरोपियों से पूछताछ के बाद और भी गिरफ्तारियां होंगी. मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों की 12 संयुक्त टीमें 12 और संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान चला रही हैं.

जबकि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया और राज्य और केंद्र सरकार से मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने मामले सरकार दखल देने की अपील की है. शीर्ष न्यायालय इस घटना को लेकर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा.

NHRC ने सीएम को भेजा नोटिस

वहीं इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मणिपुर सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है. NHRC ने एक बयान में कहा कि वह इस तरह की ‘बर्बर घटनाओं’ से नागरिकों, खासकर महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए या उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों के बारे में जानकारी चाहता है.

मानवाधिकार आयोग ने कहा कि उसने ‘चार मई को मणिपुर के कांगपोकपी जिले के बी फीनोम गांव में भीड़ द्वारा एक आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों को पुलिस हिरासत से ले जाने की घटना में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करने वाली शिकायतों का भी संज्ञान लिया है.’

आयोग ने पूर्वोत्तर राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर उनसे चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

पीएम मोदी ने कड़ी कार्रवाई का दिया आश्वासन

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मॉनसून सत्र के पहले ही दिन मणिपुर की घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना पर मेरा दिल दुखी है. इस घटना ने 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार किया है. ऐसी घटनाएं पूरे देश और हर देशवासी के लिए कलंक है.

पीएम मोदी ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है. कानून अपनी पूरी ताकत से काम करेगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. उन्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा.

सीएम बीरेन सिंह ने कहा – दोषी मृत्युदंड के हकदार

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस घटना को अमानवीय बताया और कहा कि अपराधी मृत्युदंड के पात्र हैं. उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा व्यक्त करते हुए इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया और कहा कि उनकी सरकार इस जघन्य अपराध पर चुप नहीं रहेगी.

उन्होंने कहा कि वीडियो देखने के तुरंत बाद उन्होंने साइबर अपराध विभाग को इसकी प्रामाणिकता की जांच करने का निर्देश दिया था और अधिकारियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाने का भी निर्देश दिया था.

सीएम ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इस प्रक्रिया के तहत विभिन्न समुदायों के नागरिक समाज संगठनों, व्यापारियों, धार्मिक संस्थानों के नेताओं के साथ बातचीत की गई है. उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से एक साथ रह रहे हैं. समुदायों के बीच गलतफहमी को बातचीत से सुलझाया जा सकता है, ताकि हम फिर से शांति से एक साथ रह सकें.

क्या है पूरा मामला

बुधवार को मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र सड़क पर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था. इसमें देखा जा सकता है कि भीड़ न सिर्फ महिलाओं को सड़क पर घुमा रही है, बल्कि अभद्रता भी कर रही है. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर में फिर तनाव बढ़ गया. यह वीडियो 4 मई की घटना का बताया जा रहा है.

मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए ‘आदिवासी एकता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा फैलने का ये वीडियो करीब ढाई महीने बाद बुधवार को वायरल हुआ. पुलिस ने इस मामले में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

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