मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मणिपुर के हालातों पर केंद्र सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप करने की सलाह दी है.
उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में दो महिलाओं को नग्न घुमाने वालों को कठोरतम सज़ा मिले.
उन्होंने यह भी कहा है कि जब तक केंद्र सरकार मणिपुर में हस्तक्षेप नहीं करता है तब तक शांति बहाली की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में केंद्र सरकार को दोनों पक्षों (कुकी-मैतई) को बैठा कर बातचीत करनी होगी.
राज्यपाल उइके ने कहा कि मणिपुर में जब तक दोनों समुदाय के लोगों की मांगों और बातों को सुना नहीं जाएगा और उनका समाधान नहीं दिया जाएगा, तब तक राज्य में शांति बहाली नहीं हो सकती है.
उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में ये बातें कही हैं. उनका कहना है कि उन्होंने केंद्र को मणिपुर के हालातों के बारे में सूचित किया है.
मणिपुर में दो महिलाओं को जिस तरह से निर्वस्त्र करके घुमाया गया और दो महीने से ज़्यादा समय तक उस पर कोई कार्रावाई नहीं हुई, उससे राज्यपाल काफी आहत नज़र आ रही थीं. उन्होंने इस मामले में राज्य के डीजीपी को भी तलब किया था.
राज्यपाल उइके इस बात से बेहद परेशान नज़र आईं कि जन दो महिलाओं का वीडियो वायरल हुआ है उन्हें पुलिस के सामने इस तरह से निर्वस्त्र कर दिया गया. उसके बावजूद दोषियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
राज्यपाल का कहना है कि फ़िलहाल मणिपुर का पूरी कानून व्यवस्था केंद्र के सलाहाकार कुलदीप सिंह के निर्देशों से ही चल रही है. राज्यपाल उइके ने कहा कि मणिपुर के जो हालात दुखी करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 60 हज़ार लोग हिंसा की वजह से विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर के ताज़ा हालात के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा है कि फ़िलहाल मणिपुर में दुख और दहशत का माहौल है. उन्होने बताया कि राज्य में अभी भी फा़यरिंग की घटनाएं हो रही हैं. इसलिए लोग खेत में नहीं जा सकते हैं. इसके अलावा 5 हज़ार से ज़्यादा घर जला दिये गए हैं.
अनुसुइया उइके ने यह बात काफी ज़ोर दे कर कही है कि मणिपुर में जब तक केंद्र सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी तब तक शांति बहाली नहीं हो सकती है.
मणिपुर के हालातों पर संसद में विपक्ष चर्चा और प्रधानमंत्री से जवाब की मांग कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने मणिपुर में शांति बहाली की पर्याप्त कोशिश नहीं की है.
मणिपुर में 3 मई को हिंसा की शुरूआत हुई थी. उस दिन वहा के चुराचांदपुर शहर में आदिवासी एकता मार्च का आयोजन किया गया था.
इस मार्च के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. अभी तक इस हिंसा में 160 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
राज्यपाल ने ज़रूरी और गंभीर सवाल उठाए हैं
मणिपुर के हालातों के बारे में राज्यपाल अनुसुया उइके ने ज़रूरी और गंभीर बातें कही हैं. उन्होंने साफ़ किया है कि राज्य में क़ानून का राज ख़त्म हो चुका है.
लेकिन अभी तक उनकी बातों पर केंद्र सरकार की तरफ़ से किसी तरह की प्रतिक्रिया नज़र नहीं आई है. यह अफ़सोस की बात है कि गवर्नर जो केंद्र के एजेंट के तौर पर राज्य में काम करता है उनकी रिपोर्ट को भी केंद्र सरकार बहुत गंभीरता से नहीं ले रही है.
मणिपुर में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप में एक एक दिन की देरी राज्य को बहुत भारी पड़ रही है.