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CIA आदिवासी विकास में सबसे बड़ी बाधा है – बीजेडी सांसद

आदिवासी इलाक़ों के लिए आवंटित बजट पर चर्चा के दौरान सीआईए (CIA) का ज़िक्र किया गया. ओडिशा के राज्य सभा सांसद अमर पटनायक ने कहा कि भारत में आदिवासी विकास में सीआईए रोड़ा है. उन्होंने कहा कि अगर भारत में आदिवासियों का विकास नहीं हो रहा है तो उसका कारण सीआईए है.

संसद में आदिवासी इलाक़ों के लिए आवंटित बजट पर चर्चा के दौरान सीआईए (CIA) का ज़िक्र किया गया. ओडिशा के राज्य सभा सांसद अमर पटनायक ने कहा कि भारत में आदिवासी विकास में सीआईए रोड़ा है.

उन्होंने कहा कि अगर भारत में आदिवासियों का विकास नहीं हो रहा है तो उसका कारण सीआईए है. बीजू जनता दल के सांसद अमर पटनायक ने स्पष्ट करते हुए कहा कि जब वो सीआईए को आदिवासी विकास में बाधा बनने की बात कर रहे हैं तो उनका इशारा अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी की तरफ़ बिलकुल नहीं है.

उन्होंने सीआईए को स्पष्ट करते हुए कहा कि वो कन्वर्जंस, इंस्टीट्यूटशनल चैंपियन्स और अवेयरनेस की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए बनाए जानी वाली योजनाओं की कामयाबी की तीन शर्तें होती हैं.

पहली शर्त है कि ये योजनाएँ ज़मीन पर लागू हो सकें. दूसरी शर्त है कि इन योजनाओं को लागू करने में आदिवासी समुदायों के लोगों को शामिल किया जाए और तीसरी शर्त है कि योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी जाए.

उन्होंने आदिवासी योजनाओं के बारे में जानकारी के बारे में बोलते हुए कहा कि स्थिति बेहद अफ़सोसनाक है. आदिवासी मामलों के मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति का भी उन्होंने हवाला दिया.

उन्होंने राज्य सभा को बताया कि संसद की स्थाई समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि आम लोग और अधिकारी तो छोड़िये, सांसदों और विधायकों को भी आदिवासी इलाक़ों से जुड़ी योजनाओं की सही जानकारी नहीं मिलती है. 

अमर पटनायक ने कहा कि सरकार बजट में आदिवासी विकास के लिए हर साल राशी बढ़ाने की घोषणा करती है. लेकिन जब आदिवासी मंत्रालय के ख़र्च को देखा जाता है तो पाते हैं कि यह राशी कम हो जाती है. उन्होंने इसका कारण बताते हुए का कि क्योंकि ज़मीन पर योजनाओं को ठीक से लागू नहीं किया जाता है इसलिए पैसा ख़र्च ही नहीं होता है. 

अपनी बात रखते हुए उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि जब तक आदिवासी इलाक़ों के लिए बनी योजनाएँ सरकारी अफ़सरों के भरोसे रहेंगी, हालात नहीं बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि ज़रूरत इस बात की है कि आदिवासी समुदायों में ऐसे लोगों की पहचान की जाए जो इन योजनाओं को आम लोगों से बीच ले जा सकते हैं.

सांसद ने बजट चर्चा के दौरान एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों की संख्या और उनके चालू होने के अंतर को भी बताया. उन्होंने कहा कि एकलव्य स्कूलों की स्थापना एक अच्छा कदम है.

लेकिन स्कूलों की घोषणा कर दी जाती है लेकिन उन्हें चालू नहीं किया जाता है. उन्होंने अपने राज्य ओडिशा का उदाहरण दिया. उन्होंने संसद को बताया कि उनके राज्य में 70 एकलव्य रेजिडेंशियल मॉडल स्कूलों की घोषणा हो चुकी है. लेकिन अभी तक 19 स्कूल ही चालू हुए हैं.

उन्होंने इन स्कूलों में नई तकनीक के इस्तेमाल पर भी ज़ोर दिया. अमर पटनायक ने कहा कि इन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता क़ायम करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. 

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