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164752 आदिवासियों के विस्थापन पर तैयार रिपोर्ट दबाए बैठा है आदिवासी मंत्रालय, आयोग है निष्क्रिय – संसदीय समिति

आयोग को जिन मामलों में रिपोर्ट पेश करनी थी उसमें आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर पोलावरम परियोजना का आदिवासी आबादी पर असर का अध्ययन शामिल है. इसके अलावा राउरकेला में स्टील प्लांट के लिए विस्थापित हुए आदिवासियों के पुनर्वास से जुड़ी एक विशेष रिपोर्ट भी संसद में पेश की जानी थी

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) पिछले 4 साल से निष्क्रिय रहा है. इस दौरान इस आयोग ने एक भी रिपोर्ट संसद में पेश नहीं की है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है. 

आयोग को जिन मामलों में रिपोर्ट पेश करनी थी उसमें आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर पोलावरम परियोजना का आदिवासी आबादी पर असर का अध्ययन शामिल है. इसके अलावा राउरकेला में स्टील प्लांट के लिए विस्थापित हुए आदिवासियों के पुनर्वास से जुड़ी एक विशेष रिपोर्ट भी संसद में पेश की जानी थी.

संसद की  सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से जुड़ी  स्थाई समिति की अध्यक्ष बीजेपी की सांसद रमा देवी हैं.

संसदीय स्थाई समिति ने पाया है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग इन मामलों पर रिपोर्ट तैयार कर ली है. लेकिन ये रिपोर्ट अभी तक संसद में पेश नहीं की है. ये रिपोर्ट अभी भी आदिवासी मामलों के मंत्रालय के पास रखी हैं.

संसदीय समिति ने कहा है कि आदिवासी मंत्रालय आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश नहीं कर रहा है

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को सिविल कोर्ट की पॉवर हासिल हैं. आयोग किसी भी ऐसे मामले की जाँच कर सकता है जो आदिवासियों के अधिकारों या सुरक्षा से जुड़ा हो.

संसद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2018 से कमीशन की रिपोर्ट मंत्रालय के पास पड़ी हैं. इन रिपोर्टों को अभी तक संसद में पेश नहीं किया गया है. स्थाई समिति ने कहा है कि इन रिपोर्टों को बिना देरी किए संसद में पेश किया जाना चाहिए. 

संसद की स्थाई समिति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के काम काज की स्थिति पर अफ़सोस प्रकट किया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई बातें नोट की हैं. समिति ने कहा है कि आयोग को अपना काम सुचारू रूप से चलाने के लिए ना तो मैनपॉवर और पैसा उपलब्ध नहीं कराया गया है.

मंत्रालय का कहना है कि कमीशन में नियुक्ति की शर्तें और योग्यता के पैमाने इतने मुश्किल हैं कि आसानी से उसके लिए उम्मीदवार ही नहीं मिलते हैं.

मंत्रालय ने कहा है कि अब नियमों में कुछ बदलाव किये गए हैं. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की वेबसाइट के अनुसार साल 2021-22 यानि पिछले साल आयोग की कुल चार ही बैठक हुई थीं.

राष्ट्रीय जनजाति आयोग को देश भर से आदिवासियों के संवैधानिक और क़ानूनी मामलों से जुड़ी शिकायतें मिलती हैं. लेकिन आयोग द्वारा इन शिकायतों में से आधी का भी निपटारा सही समय पर नहीं हो रहा है. 

संसद में आदिवासी मंत्रालय की तरफ़ से दी गई जानकारी के अनुसार पोलावरम सिंचाई परियोजना की वजह से कम से कम 1 लाख 64 हज़ार 752 आदिवासी विस्थापित हुए हैं. यह मामला कई बार संसद में उठाया गया है.

लेकिन अफ़सोस की राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस मामले में जो रिपोर्ट तैयार की है उसे संसद में पेश ही नहीं किया गया है. 

संसद में विपक्षी दल लगातार केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि उसने लोकतंत्र की सभी संस्थाओं को पंगु बना दिया है. 

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