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पश्चिम बंगाल: त्योहार मना रहे आदिवासियों के घरों में आबकारी विभाग ने मारा छापा

गांव के एक आदिवासी महिला ने कहा, “त्योहार का जशन मनाते समय आबकारी विभाग के सदस्य कुछ आदिवासियों के घर घुस गए. उन्होंने हमारी शराब भी गिरा दी और बिना किसी वज़ह के हमें आपमानित करने लगे. इसलिए हमने आबकारी विभाग के सदस्यों को बंधक बना लिया.”

पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले में गुरूवार को आदिवासी अपना एक पांरपरिक त्योहार मना रहे थे. इस त्योहार में आदिवासी अपने घरों में शराब बनाते हैं और उसे एक-दूसरे को परोसा जाता है.

लेकिन आदिवासियों द्वारा त्योहार को इस तरीके से मनाना प्रशासन की नज़र में अवैध कहलाया गया. क्योंकि कानून के नज़र में घरों में शराब बनाना एक अवैध क्रिया है.

प्रशासन का आरोप है की आबकारी विभाग के सदस्यों को आदिवासियों ने बंधक बना लिया. आबकारी विभाग ने इन सदस्यों को आदिवासी घरों में जांच करने भेजा था.

क्या है पूरा मामला
गांव की एक आदिवासी महिला बताती है कि हम सभी मिलकर अपना पारंपरिक त्योहार (बदना पाराब) मना रहे थे. घरों में शराब बनाना और उसे अपने मेहमानों को परोसना त्योहार के रस्म का एक हिस्सा है.

उन्होंने कहा, “त्योहार का जशन मनाते समय आबकारी विभाग के सदस्य कुछ आदिवासियों के घर घुस गए. उन्होंने हमारी शराब भी गिरा दी और बिना किसी वज़ह के हमें आपमानित करने लगे. इसलिए हमने आबकारी विभाग के सदस्यों को बंधक बना लिया.”

हालांकि घटना के दो घंटे बाद ही पुलिस ने आदिवासियों से बातचीत की थी और आदिवासियों ने सदस्यों को रिहा कर दिया था.

ज़िले के प्रमुख पुलिस अधिकारी, प्रदीप कुमार यादव ने कहा की गाँव के आदिवासियों और आबकारी विभाग के सदस्यों के बीच कुछ विवाद हो गया था. हालांकि मामला अब पूरी तरह से काबू में है.

उन्होंने आगे कहा, “हमने गाँव के आदिवासियों से बातचीत की और उन्हें शांति बनाए रखने के लिए कहा है. इसके साथ ही मैने उन्हें कहा की अगर वे सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहते है तो वे कर सकते हैं. हम उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेंगे.

आदिवासियों में शराब उनकी परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और ज्यादातर आदिवासी त्योहार के समय शराब घरों में बनाते है. ये शराब वे अपने देवी-देवताओं को भी चढ़ाते है.

आदिवासियों की इस पंरपरा को प्रशासन को समझना होगा और बीच का कोई रास्ता निकलना होगा. ताकि उनकी पंरपराओं और संस्कृति में कोई बाधा ना आए. क्योंकि सरकार की नज़र में घरों में शराब बनाना अवैध है. वहीं आदिवासियों में यह पंरपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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