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इन चार राज्यों के गुमनाम आदिवासी नायकों की दास्तां सुनाएगा स्वतंत्रता सेनानियों का संग्रहालय

ये जनजातीय संग्रहालय 35 करोड़ की लागत के साथ बनाया जाएगा. इस संग्रहालय को बनाने के लिए केंद्र सरकार 15 करोड़ का योगदान देगी, वहीं राज्य सरकार 20 करोड़ खर्च करेगी.

करम तमन्ना डोरा एक अहम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1839 और 1848 के बीच रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था. उसके बाद 1992 में अल्लूरी सीताराम राजू और उनकी टीम ने इस विद्रोह को शुरू किया. ऐसे में तमन्ना डोरा जैसे गुमनाम आदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 35 करोड़ की लागत के साथ अल्लूरी सीताराम राजू जिले के लम्बसिंगी के पास ताजंगी में एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का संग्रहालय बनाया जा रहा है.

संग्रहालय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के एजेंसी क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी विद्रोह के उपाख्यानों और कथाओं को प्रदर्शित करेगा. संग्रहालय में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लाइफ-साइज म्युरअल और पेंटिंग्स होगी. साथ ही डिजिटल इंटरेक्टिव स्क्रीन, 3डी प्रोजेक्शन लाइट और साउंड सिस्टम के साथ रखा जाएगा.

इस जनजातीय संग्रहालय को बनाने के लिए केंद्र सरकार 15 करोड़ का योगदान देगी, वहीं राज्य सरकार 20 करोड़ खर्च करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 2016 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान, स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी नायकों के योगदान को स्वीकार करने के लिए आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालयों के स्थापना करने की घोषणा की थी.

ट्राइबल कल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आंध्र प्रदेश के मिशन निदेशक एसा रवींद्र बाबू ने एसटीओआई से बात करते हुए कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गई थी, जिसके बाद केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश के लिए एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय को मंजूरी दी है.

रवींद्र बाबू ने कहा, “अल्लूरी सीताराम राजू जिला, जहां संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है, का स्वतंत्रता आंदोलन से एक ऐतिहासिक संबंध है. अल्लूरी सीताराम राजू ने यहां से रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था.”

मिशन निदेशक ने कहा कि संग्रहालय की नींव पर निर्माण कार्य प्रगति पर है. इसके साथ ही ये संग्रहालय आंध्र प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी तीन राज्यों के विभिन्न आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए स्टोरीलाइन विकसित की जा रही हैं.

रवींद्र बाबू ने कहा कि रंपा विद्रोह को कवर करने वाली 33 मिनट की ऑडियो-विजुअल डॉक्यूमेंट्री पहले ही विकसित की जा चुकी है और इसे आदिवासी मामलों के मंत्रालय के साथ साझा किया जा चुका है.

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