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आदिवासियों के साथ खड़े हुए राहुल गांधी, पोडू भूमि पर तेलंगाना सरकार को लताड़ा

राहुल गांधी का बयान गुरुवार और शुक्रवार को उस तनावपूर्ण स्थिति के बाद आया है, जब वन विभाग के कर्मियों ने दांडेपल्ली मंडल के कोयापोशागुडेम में विवादित भूमि पर किसानों की झोपड़ियों को कथित रूप से नष्ट करने की कोशिश की थी.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी तेलंगाना में आदिवासियों के समर्थन उतर गए हैं. उन्होंने आदिवासियों के खिलाफ़ क्रूर कार्रवाई के लिए राज्य पुलिस और मुख्यमंत्री केसीआर सरकार की जम कर आलोचना की है. राज्य में वन भूमि के स्वामित्व को लेकर आदिवासी किसानों और वन विभाग के अधिकारियों के बीच हिंसक टकराव के दो दिन बाद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है.

शनिवार को राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया था. इस वीडियो में एक महिला को पुलिस घसीट रही है. इस औरत के बारे में बताया गया है कि वो अपनी झोपड़ी को तोड़े जाने से बचाने की कोशिश कर रही थी.

इस वीडियो में देखा जा सकता है कि वन विभाग के अधिकारियों आदिवासियों को हिरासत में ले रहै हैं. क्योंकि वो अपनी झोपड़ियों को हटाने से प्रशासन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

आदिवासी महिला के खिलाफ पुलिस की कथित कार्रवाई का वीडियो शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “तेलंगाना में आदिवासियों पर राज्य बल की क्रूर कार्रवाई, विशेष रूप से महिलाएं, जो अपने भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं, निंदनीय है.”

उन्होंने कहा, “तेलंगाना राज्य करोड़ों लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनाया गया था… आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा इसका सर्वोत्कृष्ट हिस्सा है.”

राहुल गांधी ने आगे कहा, “आदिवासियों की आवाज को दबाने के लिए आज पुलिस बल का दुरुपयोग करना इस सपने का अपमान है. केसीआर सरकार ने हमारे लोगों के साथ धोखा किया है, पहले पोडु भूमि के मालिकाना हक को योग्य आदिवासियों को हस्तांतरित करने की घोषणा की और फिर जल्द ही पीछे हट गए.”

उन्होंने कहा कि ‘जल-जंगल-जमीन’ को बचाने की उनकी लड़ाई में हम अपनी आदिवासी बहनों और भाइयों के साथ खड़े हैं.

राहुल गांधी का बयान गुरुवार और शुक्रवार को उस तनावपूर्ण स्थिति के बाद आया है, जब वन विभाग के कर्मियों ने दांडेपल्ली मंडल के कोयापोशागुडेम में विवादित भूमि पर किसानों की झोपड़ियों को कथित रूप से नष्ट करने की कोशिश की थी.

जब किसानों ने इस कदम का विरोध किया तो उन्हें कथित तौर पर घसीटा गया और हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद आदिवासी संगठन टुडम देब्बा ने सोमवार को सभी आदिवासी कल्याण संगठनों से आदिलाबाद क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों को अवरुद्ध करने का आग्रह करते हुए 11 जुलाई को एक दिन के बंद का आह्वान किया है.

दरअसल तेलंगाना के मंचीयरयाल जिले के कोयापोशागुडेम में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच झड़प हुई. वन विभाग ने आदिवासियों को सरकारी ज़मीन से हटाने के लिए पुलिस की मदद से ड्राइव चलाई. जिसके तहत वन विभाग की भूमि पर बनी अवैध झोपड़ियों को हटाने का काम किया गया.

पीड़ित किसानों ने विरोध किया और वन कर्मियों ने उन्हें घसीटा और हिरासत में ले लिया जिससे अराजकता और दहशत फैल गई. एक व्यक्ति ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगाने की धमकी दी. इस घटना की निंदा करते हुए टुडुम देब्बा ने कहा, “कोयापोशागुडेम के आदिवासी किसान कुछ दिन पहले ही जेल से लौटे थे. अब फिर से वन विभाग ने उन पर हमला कर दिया है. इन हमलों के पीछे मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का हाथ लगता है.”

आदिवासी संगठन ने कहा कि वे बार-बार अधिकारियों से पोडु भूमि मुद्दे को हल करने के लिए कह रहे हैं लेकिन इन चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है. उन्होंने एक बयान में कहा, “पिछले महीने हमने कोयापोशागुडेम से एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA) कार्यालय तक एक रैली की और इस मुद्दे को तुरंत हल करने के लिए ITDA परियोजना अधिकारी को एक प्रतिनिधित्व सौंपा था. यह हमला अधिकारियों की ओर से मामले को हल करने में देरी के कारण हुआ.”

टुडुम देब्बा ने आरोप लगाया कि अधिकारी इस मुद्दे को हल करने में अनिच्छुक हैं क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें जबरदस्ती आदिवासियों को जंगल से निकालना चाहती हैं. टुडुम देब्बा आदिलाबाद जिलाध्यक्ष गोडम गणेश ने मांग की कि आदिवासी महिलाओं पर हमला करने और उन्हें घायल करने वाले वन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि छापेमारी में शामिल कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया जाए.

गोडम गणेश ने कहा कि वन अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के जवाब में, जो आदिवासी किसानों को अवैध मामले दर्ज करके आदिलाबाद जिले में खेती करने से रोक रहे थे, हमने बंद का आह्वान किया है. हम सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करते हैं कि वे हमें अपना समर्थन दें और बंद को सफल बनाएं.

परंपरागत रूप से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों में आदिवासी किसान पोडु खेती कर रहे हैं, जो जंगल में शिफ्ट खेती का एक रूप है. इन जमीनों के मालिकाना हक को लेकर वन विभाग और आदिवासियों के बीच विवाद चल रहा है. इस मुद्दे को लेकर आदिवासी क्षेत्र के कई हिस्सों में छिटपुट हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने योग्य दावेदारों को भूमि मालिकाना हक देने की घोषणा की थी. हालांकि, नवंबर 2021 में शुरू हुई प्रक्रिया को अगले महीने अचानक रोक दिया गया.

आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हुए, तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने कहा, “पोडु भूमि अब युद्ध के मैदान की तरह है. मंचेरियल, महबूबाबाद, नागरकुरनूल और खम्मम जिले के जिले पोडु भूमि के मुद्दे को लेकर लगातार उग्र हैं. पोडु भूमि का मालिकाना हक देने का आश्वासन देते हुए केसीआर को वोट मिले और अब महिलाओं को घसीटा जा रहा है.”

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