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गुजरात के आदिवासी गाँव में स्कूल ढाहे जाने पर हाईकोर्ट आग बबूला हुआ

हाईकोर्ट ने कहा कि जिस आदिवासी गाँव में स्कूल ढाह कर पंचायत भवन का निर्माण किया जा रहा है, वहाँ पर अब प्रशासन आदिवासी बच्चों के लिए एक अच्छा स्कूल भवन बना कर दे.

गुजरात हाईकोर्ट आदिवासी इलाक़े में एक स्कूल की बिल्डिंग को गिराए जाने पर गहरी नाराज़गी प्रकट की है. प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार स्कूल का यह भवन काफ़ी समय से इस्तेमाल नहीं हो रहा था. 

यह स्कूल सूरत ज़िले के एक आदिवासी गाँव का बताया गया है. इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार गाँव में स्कूल के दो भवन थे. इनमें के एक भवन में दो कमरे थे जबकि दूसरे भवन में 7 कमरे हैं. 

हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में बताया गया है कि गाँव में दो कमरे वाले भवन को ज़िला पंचायत ने ढहा दिया है. इस स्कूल भवन पंचायत भवन के ढहा दिया गया है. 

इस मामले में पिछले साल उस समय जनहित याचिका दायर की गई थी जब स्कूल बिल्डिंग के दो कमरों को गिरा दिये जाने का फ़ैसला पंचायत ने किया था. 

मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि एक स्कूल के कमरों को गिरा दिया गया. जब सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि स्कूल के कमरों को तोड़ने का फ़ैसला ज़िला पंचायत ने लिया था तो अदालत ने उनसे पूछा, “इस हालत में सरकार को स्कूल की निगरानी करनी चाहिए थी.”

अदालत ने सरकारी वकील को कहा कि अब उस स्कूल की बिल्डिंग की ज़मीन पर पंचायत कोई गतिविधि ना करे. उस समय पर अदालत को बताया गया कि उस ज़मीन पर पहले ही पंचायत भवन का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. 

अदालत ने स्कूल की जगह पर बन रहे पंचायत के काम को तुरंत रोक देने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में ज़िला पंचायत को एक पक्षकार बनाने का आदेश दिया है.

अदालत ने प्रशासन को कहा है कि जिस आदिवासी गाँव में स्कूल को ढाह दिया गया है वहाँ पर अब एक अच्छा स्कूल बनाया जाए. 

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