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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023: आदिवासी सीटों पर कम दिलचस्पी दिखा रहे उम्मीदवार

मध्य प्रदेश देश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी का घर है और राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. लेकिन जब 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की बात आती है तो अनुसूचित जनजातियां कम उत्साहित दिखती हैं.

मध्य प्रदेश देश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी का घर है और राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. लेकिन जब 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की बात आती है तो अनुसूचित जनजातियां कम उत्साहित दिखती हैं.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 230 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर थी. इस दौरान 3,832 उम्मीदवारों ने नामांकन किया गया है.

एक विश्लेषण से पता चला है की जब नामांकन दाखिल करने की बात आई तो देखा गया की 29 सीटों पर सबसे कम प्रतिक्रिया देखी गई है. इनमें से प्रत्येक सीट पर छह से 10 उम्मीदवार थे. उन 29 सीटों में से 18 (62%) एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं.

ये 18 सीटें 47 सीटों में से 38 फीसदी हैं, जो एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं और सभी प्रमुख राजनीतिक दल इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए जोर-शोर से प्रयास कर रहे हैं.

भील और भिलाला जनजाति बहुल धार जिले की गंधवानी-एसटी सीट उस सीट के रूप में उभरी है, जहां 30 अक्टूबर तक सबसे कम लोगों यानि केवल छह उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था.

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के फायरब्रांड आदिवासी नेता और पूर्व एमपी मंत्री उमंग सिंघार ने पिछले तीन चुनावों में यह सीट जीती थी. वहीं कुछ महीने पहले सिंघार ने राज्य में आदिवासी सीएम की मांग उठाई थी. इसके बावजूद गंधवानी-एसटी सीट पर विधानसभा सदस्य बनने के इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या सबसे कम है.

उसी आदिवासी बहुल धार जिले की तीन अन्य सीटों पर भी सबसे कम इच्छुक उम्मीदवार शामिल हैं. जबकि धार जिले की धरमपुरी और सरदारपुर-एसटी सीटों पर सिर्फ सात उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया.

यहां तक कि उसी पश्चिमी एमपी जिले की अनारक्षित बदनावर सीट, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव करते हैं. वहां भी केवल 10 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन जमा करने की सूचना दी है.

अन्य एसटी आरक्षित सीटें, जिनमें न्यूनतम संख्या में नामांकन हुए हैं, उनमें बागली-एसटी और भीखनगांव-एसटी (प्रत्येक में सात व्यक्तियों ने नामांकन दाखिल किया), बड़वानी-एसटी, अलीराजपुर-एसटी, निवास-एसटी (जहां से छह बार भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलसटे मैदान में हैं) और ब्योहारी-एसटी सीट शामिल है.

इन सीटों पर आठ-आठ उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल किया गया है. इसके अलावा रतलाम ग्रामीण-एसटी, राजपुर-एसटी (वर्तमान में पूर्व गृह मंत्री और तीसरी बार के कांग्रेस विधायक बाला बच्चन के पास है), भगवानपुरा-एसटी, टिमरनी-एसटी, शाहपुरा-एसटी और अनूपपुर-एसटी सीटों पर नौ महत्वाकांक्षी विधायकों ने चुनाव अधिकारियों के पास नामांकन पत्र दाखिल किया है.

पश्चिमी एमपी की पंधाना-एसटी और पूर्वी की जयसिंहनगर-एसटी सीट पर कुल 10 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है.

बागियों को लेकर चिंता बनी हुई है

17 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने में एक दिन शेष रह जाने के कारण विद्रोह सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.

भाजपा के हाथ में कम से कम 33 बागियों (जिन्होंने निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया है) को मनाने का काम है. जबकि कांग्रेस को गुरुवार से पहले कम से कम 35 उम्मीदवारों को चुनाव की दौड़ से बाहर होने के लिए राजी करना होगा.

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