चुनावी माहौल में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस और उसके मैनिफेस्टो को लेकर जमकर निशाना साधा. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की केंद्र सरकार और एमपी में बीजेपी सरकार की जनजातियों के लिए किए गए काम की तारीफ की.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस पर मध्य प्रदेश में आदिवासियों को उनके बुनयादी अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया.
मुंडा ने कहा कि जब भी कांग्रेस मध्य प्रदेश में सत्ता में आई है, तब उन्होंने आदिवासियों को अनदेखा किया है और उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा की पिछले कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य से सबसे ज्यादा आदिवासियों ने पलायन किया था.
कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों के हितों पर प्रहार करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सरकार में आने के बाद आदिवासियों के लिए भरपूर काम किया. मोदी सरकार ने आदिवासी वर्ग हितैषी योजनाएं बनाई हैं और अब उनका परिणाम भी देखने को मिल रहा है.
हमने आश्रम विद्यालय बनाए, आदिवासियों को ज्ञान से जोड़ा और उन्हें गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी. उनके स्वास्थ्य के लिए उचित व्यवस्था की. आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष अभियान चलाए. हमने उन्हें हमेशा प्राथमिकता पर रखा है.
अर्जुन मुंडा ने पिछली कमलनाथ सरकार पर बैगा, सहरिया और भारिया आदिवासियों के लिए बनाई गई कई योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाया है. उन्होंने आगे कहा की मध्य प्रदेश में इस समय की स्थिति में देखें तो कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टों में बहुत सी बातों को कहा है.
लेकिन गौर से देखें तो यह एक छलावा, एक धोखा है. ये पहले भी ऐसा धोखा कर चुके हैं वायदे करके उनका इंप्लीटेशन कभी नहीं किया और इसके चलते सुदूर इलाके पिछड़ते चले गए.
मुंडा ने कहा कि दिग्विजय सिंह सरकार में भी बैकलॉग, आरक्षण और स्वास्थ्य, शिक्षा के मामले में झूठे वायदे किए थे. अटल सरकार में जनजातीय समुदाय के लिए मंत्रालय और आयोग बनाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि कई कांग्रेस शासित राज्यों ने पेसा अधिनियम (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार) लागू नहीं किया है. इसके अलावा उन्होंने एससी, एसटी कल्याण के लिए कई सारी योजनाओं का वादा करने वाले कांग्रेस को झूठ का पुलिंदा का करार दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र में कांग्रेस शासन के दौरान आदिवासी इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. हालांकि, मोदी सरकार ने आदिवासी इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान दिया.