HomeAdivasi Dailyआंध्रप्रदेश: खनिज दिखाई दिये तो आदिवासियों की ज़मीन हड़पी

आंध्रप्रदेश: खनिज दिखाई दिये तो आदिवासियों की ज़मीन हड़पी

आदिवासी महिलाओं ने सरकार से आग्रह किया कि वे सभी आदिवासियों को उनकी भूमि पर हक वापस दिला दें, अगर ऐसा नहीं किया गया तो ये महिलाएं आत्महत्या तक कर सकती हैं.

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के अनाकापल्ली ज़िले (Anakapalle District) के रविकमातम मंडल (Ravikamatham mandal) में रहने वाले कई आदिवासी अपने भूमि हक के लिए लड़ रहे हैं.

सोमवार को यहां रहने वाली आदिवासी महिलाओं ने सरकार से आग्रह किया कि वे सभी आदिवासियों को उनकी भूमि पर हक वापस दिला दें, अगर ऐसा नहीं किया गया तो ये महिलाएं आत्महत्या तक (women stage mock suicide over land issue) कर सकती हैं.

इसी सिलसिले में कावागुंटा गांव में रहने वाले रोब्बा वरहलम्मा ने बताया की लगभग 30 आदिवासी परिवारों को पांच दशकों से भी अधिक समय तक भूमि पट्टा दिया गया था और इस बीच सरकार द्वारा इसमें कोई हस्ताक्षेप नहीं किया गया.

उन्होंने बताया की राज्य सरकार ने यहां के रहने वाले आदिवासियों को डी-फॉर्म पट्टे प्रदान किए थे.

लेकिन 2016 में जब इस भूमि पर ग्रेनाइट खदानों की पहचान की गई थी, तब स्थानीय अधिकारियों और राजनेताओं ने मिलकर आदिवासियों के डी-फॉर्म पट्टों को आने वाले सालों के लिए इसे रद्द कर दिया.

इसी संदर्भ में आर. रामनम्मा नाम की एक अन्य महिला ने कहा की राजस्व अधिकारियों ने 2020 में इस मुद्दे पर एक ग्राम सभा आयोजित की थी.

जिसके बाद आदिवासी महिलाओं को ज़मीन का आधिकार वापस दिलाने के लिए प्रस्ताव भी बनाया गया था, जिसे बाद में मंजूरी मिली थी.

इसी प्रस्ताव को बाद में ज़िला कलेक्टर को सौंपा गया था और इन्हें अपनी भूमि पर हक वापस मिल गया था.

लेकिन 2022 में फिर से इन सभी के नाम रिकार्ड से हटा दिए गए, जिसके बाद ज़िला आधिकारियों द्वारा जांच की गई.

इस जांच में ये पाया गया की भूमि पट्टे से संबंधित आधिकारी, नेताओं के साथ मिलकर ऐसा कर रहे थे.

इस मामले में स्थानीय राजस्व सचिव को निलंबित कर दिया गया था.

लेकिन इस बात को अब कई महीने हो चुके है और अभी तक आदिवासियों को इनकी ज़मीन का हक वापस नहीं दिया गया है.

राज्य में आदिवासी भूमि जब्त करने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इसे पहले भी राज्य सरकार ने विजयनगरम और राजमुंदरी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के लिए अनुमति दे दी थी. इस परियोजना के तहत 50 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी.

पोडु भूमि यहां के आदिवासियों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है. लगभग 1,500 आदिवासी परिवारों द्वारा यहां कॉफी के बागान, धान और हल्दी की फसलें उगाई जाती हैं.

इस लिहाज से यह भूमि आदिवासियों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन जाती है.

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