महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में 10 आदिवासी बस्तियों के करीब 2 हज़ार मतदाताओं ने अपनी बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी जारी की है.
ग्रामीणों को समझाने के लिए तहसीलदार अभिजीत बारवकर के प्रयासों के बावजूद शिकायतें बनी हुई हैं. क्योंकि इगतपुरी और त्र्यंबकेश्वर जैसे दूरदराज के इलाकों में जरूरी सुविधाएं अभी भी उपलब्ध नहीं हैं.
नासिक समेत महाराष्ट्र की 13 लोकसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा.
सड़कों, पीने के पानी और संचार सुविधाओं की कमी सहित विभिन्न मुद्दों ने इन बस्तियों को वर्षों से परेशान कर रखा है. जिला कलेक्टर के दौरे के बाद भी विकास कार्यों में कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा है.
जलजीवन योजना से बाहर किए जाने सहित विकास कार्यों की उपेक्षा ने स्थिति को और खराब कर दिया है, जिससे आदिवासियों में निराशा पैदा हो गई है.
एल्गार संगठन के संस्थापक, भगवान माधे ने आदिवासी बस्तियों की लंबे समय से उपेक्षा पर निराशा व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा बिना समाधान के 15 वर्षों से अधिक समय से बना हुआ है.
नतीजतन खैरेवाड़ी, मारुतिवाड़ी, कुरुंगवाड़ी, शिदवाड़ी और अन्य छोटी बस्तियों के आदिवासियों ने विरोध में लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. तहसीलदार बारवकर द्वारा अपने फैसले को बदलने की कोशिशों के बावजूद ग्रामीण अपने निर्णय पर कायम हैं.
वहीं माधे ने कहा, “नासिक जिला कलेक्टर के इन सुदूर बस्तियों के दौरे के बाद भी इन लोगों को कम से कम बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. सदियों से हमारी आजीविका के सवालों की उपेक्षा की जा रही है, क्या हम भी इस देश के नागरिक हैं.”
इसके अलावा महाराष्ट्र में नासिक के गोवर्धन गांव में लोगों ने ग्राम सेवक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
इस बीच बहिष्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नासिक के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जलज शर्मा ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि प्रशासन उन्हें आश्वासन दे रहा है कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा और उन्हें चुनाव का बहिष्कार नहीं करना चाहिए.
डीएम ने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि उन्होंने (आदिवासियों) ने मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की है. हम उनसे बात कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा लेकिन उन्हें चुनाव का बहिष्कार नहीं करना चाहिए. किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए नियमों का एक सेट है. शिकायत और निवारण के लिए एक मैकेनिज्म है. ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मैं गांव के प्रतिनिधि से अनुरोध करता हूं कि वह आएं और हमसे मिलें. हम बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे.”
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवार हेमंत गोडसे नासिक सीट पर उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) गुट के राजाभाऊ वाजे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.
प्याज निर्यात पर केंद्र के हालिया फैसलों को लेकर किसानों और व्यापारियों के बीच बढ़ती अशांति और महायुति भागीदारों के बीच बढ़ते तनाव के बीच गोडसे को नासिक निर्वाचन क्षेत्र से हैट्रिक बनाने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
नासिक में 31 उम्मीदवार मैदान में हैं. कुल 20 लाख 30 हज़ार 124 मतदाता हैं जिनमें 10 लाख 59 हज़ार 48 पुरुष और 9 लाख 70 हज़ार 996 महिलाएं शामिल हैं, 20 मई को वोट डालेंगे.
हालांकि, गोडसे और वाजे प्याज उगाने वाले किसानों को मनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो केंद्र की ‘स्विच-ऑन-स्विच-ऑफ’ नीतियों से नाराज़ हैं.