अगर आप आदिवासियों के जीवन और संस्कृति के बारे में जानने में रुचि रखते हैं तो 15 नवंबर से यूपी संगीत नाटक अकादमी (UPSNA) में आयोजित होने वाला सप्ताह भर का ‘आदिवासी उत्सव’ आपके लिए एकदम उपयुक्त स्थान है.
कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से 1090 क्रॉसिंग से यूपीएसएनए परिसर तक जनजातीय संस्कृति यात्रा के साथ शुरू होगा. इसके बाद शाम 4 बजे अकादमी में औपचारिक उद्घाटन होगा.
यह प्रदर्शनी उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजातीय कला विभाग (UP folk and tribal arts department – UPFTAD) के द्वारा आयोजित किया जा रहा है. जिसका नाम आदिवासी त्यौहार रखा गया है.
यह कार्यक्रम 15 नवंबर से शुरू होकर 21 नवंबर तक चलेगा यानी पूरा एक हफ्ते तक चलेगा.
इस कार्यक्रम में लगभग 14 राज्यों की जनजाति समाज से जुड़ी संस्कृति, संस्कार, परंपराओं, खानपान, भेष-भूषा, नृत्य एवं गीत, खेल-कूद तथा विभिन्न शिल्प कलाओं एवं वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया जाएगा.
इसके अलावा संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में होने वाले इस कार्यक्रम में राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के कल्याण के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को भी प्रदर्शित किया जाएगा.
यह कार्यक्रम यूपी लोक और आदिवासी कला विभाग (UPGRAD), संस्कृति विभाग, आदिवासी विकास विभाग, पर्यटन विभाग और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित किया जा रहा है. यह महोत्सव आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती को चिह्नित करने के लिए हो रहा है.
कार्यक्रम पर संवाद
बुधवार को पर्यटन और संस्कृति के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया है कि कार्यक्रम दोपहर 12 बजे शुरू होगा. इसके बाद शाम 4 बजे अकादमी में औपचारिक उद्घाटन होगा.
उन्होंने यह भी बताया है कि हफ्ते भर चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान आदिवासी संगीत वाद्ययंत्रों, खेलों और फैशन शो की प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाएंगी.
इसके अलावा आदिवासी हर दिन शाम 4-8 बजे के बीच अपने लोक नृत्यों की प्रस्तुति करेंगे.
समाज कल्याण के प्रमुख सचिव हरिओम ने बताया कि महोत्सव में देश के करीब 20 राज्यों के आदिवासी हिस्सा लेंगे.
उन्होंने कहा कि महोत्सव के दौरान प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान सहित जनजातियों से संबंधित मुद्दों पर संगोष्ठी आयोजित की जाएगी और बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित एक नाटक की भी मेजबानी करेगा.
इस सबके अलावा राज्य के समाज कल्याण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण के मंत्री संजीव कुमार गोंड ने कहा कि आगंतुकों के लिए एक हस्तशिल्प मेला और भोजन उत्सव भी आयोजित किया जाएगा.
वैसे सरकार आदिवासियों के बुनियादी सुविधाओं से ज्यादा उनके रहन सहन पर ध्यान दे रही है क्योंकि सरकार समय-समय पर आदिवासियों की संस्कृति और खानपान की प्रदर्शनी लगाती है. जिस से भले ही आदिवासियों की संस्कृति और कला को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी आजीविका का भी साधन मिल सकता है. लेकिन इस से उनकी बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर कोई खास असर नहीं पड़ता है.