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मणिपुर में फिर हिंसा, महिला समेत दो की हत्या, इंटरनेट पर पाबंदी जारी

मणिपुर में तमाम प्रयासों के बावजूद हिंसा अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है. अब हिंसा की ताज़ा घटना कांगपोकपी जिले में हुई है. यहां सशस्त्र हमलावरों ने ग्राम रक्षा बल पर हमला कर दिया और जिसमें एक की मौत हो गई.

अधिकारियों ने आज बताया कि कांगपोकपी जिले के लाइमाटन थांगबुह गांव में सशस्त्र हमलावरों ने एक समुदाय के ग्राम रक्षा बल पर हमला कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई. घटना रविवार सुबह की है.

दरअसल, 3 मई को जातीय संघर्ष के बाद गांव से महिलाओं और बच्चों को चुराचांदपुर ले जाया गया था. इसकी सुरक्षा केवल गांव रक्षा बल द्वारा की गई थी. रविवार को करीब 30 लोग एक छोटी पहाड़ी पर चढ़ गए और ग्राम रक्षा बल के सदस्यों पर हमला कर दिया.

अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई. असम राइफल्स के मौके पर पहुंचने के बाद हमलावर भाग निकले.

इससे पहले रविवार रात दो जगहों पर गोलीबारी हुई जिसमें कम से कम दो की मौत हो गई. फायरिंग की घटना फैलेंग गांव में हुई.

शनिवार को भी हिंसा हुई थी जिसमें एक महिला को गोली लगी थी. इंफाल ईस्ट में गोलीबारी के दौरान उसकी मौत हो गई थी. हमलावरों ने महिला की हत्या के बाद उसका चेहरा कुचल दिया था.

हालांकि, इस मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी. अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में पांच महिलाओं सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके कब्जे से दो अग्नेयास्त्र बरामद किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि ये गिरफ्तारियां जिले के विभिन्न इलाकों से की गई हैं. इंफाल ईस्ट के पुलिस अधीक्षक कश शिवकांत सिंह ने कहा कि जांच जारी है और अगर इसमें और लोगों की संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा.

सिंह के मुताबिक, जिस महिला की हत्या की गई है वह मारिंग नगा समुदाय से ताल्लुक रखती थी.

ऐसे में राज्य के उन इलाकों में जहां नगा समुदाय के लोग रहते हैं, वहां सोमवार सुबह छह बजे से 12 घंटे का बंद शुरू हुआ. यह बंद मणिपुर में नगा समुदाय के लोगों के शीर्ष संगठन ‘यूनाइटेड नगा काउंसिल’ (यूएनसी) ने महिला की हत्या के विरोध में आहूत किया है.

यूएनसी ने हत्या मामले की न्यायिक जांच और आरोपियों के लिए ‘ऐसी सजा की मांग की है, जो एक उदाहरण’ पेश करे.

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शनिवार को ही इंफाल पश्चिम जिले में भी तीन खाली ट्रकों में उपद्रवियों द्वारा आग लगा दी गई. पुलिस ने बताया कि घटना सेकमई पुलिस थाना क्षेत्र के अवांग सेकमई में हुई. उन्होंने कहा कि एलपीजी सिलेंडरों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रक खुले मैदान में खड़े थे, जब उनमें आग लगा दी गई.

पुलिस ने कहा कि घटना के पीछे के लोगों की अभी पहचान नहीं की जा सकी है और यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि ट्रकों में आग क्यों लगाई गई.

उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने आग बुझाने की कोशिश की लेकिन ट्रकों को नहीं बचाया जा सका. पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में मामला दर्ज किया गया है.

राज्य में 73 दिनों से इंटरनेट पर प्रतिबंध

मणिपुर में तीन मई के बाद से जातीय हिंसा हो रही है और अभी तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं. वहीं मणिपुर सरकार ने राज्य में 73 दिनों से जारी इंटरनेट पर प्रतिबंध को 20 जुलाई दोपहर 3 बजे तक के लिए और बढ़ा दिया है.

राज्य सरकार के आयुक्त (गृह) टी. रणजीत सिंह द्वारा 15 जुलाई को जारी की गई नवीनतम अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक द्वारा एक दिन पहले प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट में पाया गया कि अभी भी ‘हिंसा, हमले और घरों में आगजनी की घटनाओं की खबरें’ हैं.

जातीय हिंसा के शिकार मणिपुर में इंटरनेट पहली बार 3 मई को काट दिया गया था. कई संगठनों और लोगों ने इंटरनेट की बहाली के लिए मणिपुर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं.

16 जून को मणिपुर हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार को कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट की सीमित पहुंच की अनुमति देने का आदेश दिया था. लगगभग एक महीने बाद 7 जुलाई को हाईकोर्ट ने एक बार फिर राज्य सरकार को इंटरनेट लीज लाइन (IAL) और फाइबर टू द होम (FTTH) कनेक्शन पर प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया, यह आदेश ‘यह सुनिश्चित करने के बाद दिया गया कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों का सभी हितधारकों ने अनुपालन किया है.’

इंफाल फ्री प्रेस ने बताया है कि इंटरनेट पहुंच बहाल करने के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित कुछ सुरक्षा उपायों में गति को 10 एमबीपीएस तक सीमित करना, इच्छुक यूजर्स से वचन लेना कि वे किसी भी अवैध काम में शामिल नहीं होंगे और संबंधित प्राधिकारी/अधिकारियों द्वारा यूजर्स की भौतिक निगरानी शामिल है.

हालांकि, मणिपुर सरकार ने अब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 10 जुलाई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा इस मामले को सुनने के लिए तैयार हो गए.

सुप्रीम कोर्ट अब 17 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करेगा.

इंटरनेट सेवा बंद होने पर बोले शशि थरूर

राज्य में इंटरनेट सुविधाओं को बंद करने के मामले को लेकर कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा था कि ये अजीब है कि भारत “दुनिया का एकमात्र लोकतंत्र” है जो नियमित रूप से लंबे समय तक इंटरनेट शटडाउन का सहारा लेता है, जिससे आम नागरिकों को असुविधा होती है.

शशि थरूर ने ट्विट किया, “सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मणिपुर हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई करेगा जिसमें पिछले तीन महीनों से राज्य में डिजिटल लाइफ को बाधित करने वाले इंटरनेट पर प्रतिबंध में ढील दी गई. सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थाई समिति ने 2022 में तीखी टिप्पणी की थी कि सरकार की ओर से ऐसा कोई औचित्य नहीं दिया गया है, जो किसी भी तरह से प्रदर्शित करता हो कि इंटरनेट शटडाउन वास्तव में बाधा डालता है, कहीं भी हिंसा या आतंकवाद को रोकना तो दूर की बात है.”

उन्होंने आगे लिखा, “मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उन बाबुओं के बजाय नागरिकों के अधिकारों के लिए खड़ा होगा जो बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड लेनदेन, नामांकन, परीक्षाओं और सभी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने वाले नागरिकों पर अपने फैसलों के प्रभाव के प्रति पूरी तरह से उदासीन हैं. कोर्ट को अब इस भयानक प्रथा को खत्म करना चाहिए.”

राज्य में 3 मई से जारी है हिंसा

बीते 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हज़ारों लोग घायल हुए हैं. लगभग 60 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(PTI File Image)

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