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झारखंड में ड्रोन मैपिंग रोकी गई, ग्राम सभा से अनुमति नहीं ली गई थी

केंद्र की योजना के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के तहत खूंटी ज़िले में डिजिटल व ड्रोन मैपिंग हो रही है. झारखंड विधानसभा में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह जानकारी दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए कहा कि इस योजना को राज्य सरकार ने फ़िलहाल होल्ड कर दिया है.

झारखंड में फिलहाल केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना लागू नहीं की जायेगी. इस योजना के तहत संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे किया जा रहा है.

केंद्र की योजना के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के तहत खूंटी ज़िले में डिजिटल व ड्रोन मैपिंग हो रही है. झारखंड विधानसभा में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह जानकारी दी है. 

सीपीआई (माले) विधायक विनोद सिंह सदन में शुक्रवार को यह सवाल पूछा था. इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए कहा कि इस योजना को राज्य सरकार ने फ़िलहाल होल्ड कर दिया है.

ड्रोन सर्वे से संबंधित यह योजना भारत सरकार की है. राज्य सरकार को जानकारी मिली है कि कई प्रखंडों में यह योजना चलायी जा रही है. इस योजना को लेकर कई तरह के संशय लोगों के मन में हैं. 

इस मामले को उठाते हुए विधायक विनोद सिंह ने सदन में कहा कि स्वामित्व योजना के तहत खूंटी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे हो रहा है. यह क्षेत्र संविधान की अनुसूचित 5 के अंतर्गत आता है. इसके बावजूद ड्रोन सर्वे से पहले ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गयी है. 

इस वजह से ग्रामीण नाराज़ भी हैं और उनके मन में कई तरह की आशंका भी हैं.  

केंद्र की स्वामित्व योजना के तहत गांवों का सर्वेक्षण व उन्नत तकनीक से मानचित्रण होना है. इसके तहत ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल होना है. इस योजना को  केंद्र सरकार ने चार चरणों में पूरा करने का निर्णय लिया है. देशभर के 36 राज्यों के छह लाख 62 हजार से ज्यादा गांवों में वर्ष 2024 तक योजना पूरी होगी.

केंद्र ने इस योजना की शुरुआत वर्ष 2020 में की थी. पहले पायलट चरण में छह राज्यों के 763 गांवों में एक लाख लोगों के बीच प्रॉपर्टी कार्ड का वितरण किया गया है. दूसरे चरण में झारखंड सहित दूसरे राज्यों में इस योजना की शुरुआत हुई. इसमें 20 राज्य शामिल हैं.

योजना की शुरूआत 24 अप्रैल 2020 को प्रधामंत्री ने लॉकडाउन के बीच में ही राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर की गई थी. भारत सरकार का कहना है कि देश के सभी राज्यों में गांवों की आबादी क्षेत्र का सर्वेक्षण या मानचित्रण नहीं किया गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि फ़िलहाल यह योजना होल्ड पर है

इसलिए ग्रामीणों के पास उनके घरों का कोई ठोस अभिलेख अधिकार यानी संपत्ति का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है. इसके कारण ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वे बैंकों से कर्ज लेने से लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं.

इसी के मद्देनजर भारत सरकार देश के 662162 लाख गांव के ग्रामीण आबादी क्षेत्र के घरों की पैमाइश ड्रोन तकनीक से करेगी. गांव की सीमा में आने वाली हरे एक संपत्ति का ड्रोन से सीमांकन होगा. इसके साथ ही ज़मीन का डिजिटल नक्शा तैयार किया जाएगा. 

ग्रामीण आबादी क्षेत्र में भूमि खंडों के सभी रिकॉड्स डिजिटल होंगे और इस तरह की कई तकनीकी प्रक्रिया के बाद गांव वालों के बीच उनके घरों के स्वामित्व कार्ड बांटे जाएंगे, जो उनका घरों पर मालिकाना हक का ठोस कानूनी दस्वावेज होगा.

झारखंड में इस योजना का विरोध किया जा रहा है. खूंटी में इस सिलसिले में प्रदर्शन और सभाएँ की गई है. आंदोलन में दयामानी बारला के साथ आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, आदिवासी एकता मंच, मुंडारी खूंटकटी परिषद समेत एक दर्जन संगठन के बैनर तले पिछले दिनों खूंटी में प्रदर्शन किया गया था.

इन संगठनों का कहना है कि जमीन पर गांव के लोगों का अधिकार है. उनके पास सब कुछ है. रैयतों के पास पट्टा है. पेसा क्षेत्र में अचानक इस तरह की योजनाओं को लादा नहीं जा सकता है. जल, जंगल, जमीन पर गांव का अधिकार है.

आदिवासी-मूलवासियों ने जंगल को रहने लायक बनाया है. सरकार टैक्स जुटाने के लिए यह सब कुछ कर रही है. ग्रामीण इलाके में सुविधा देने के बहाने आदिवासियों की जमीन पर नजर है.

सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पिछले 26 अक्टूबर को झारखंड के खूंटी जिला उपायुक्त कार्यलय के समीप जदूर अखड़ा मैदान में इस योजना के विरोध में सभा आयोजित हुई, जहां आदिवासियों ने स्वामित्व योजना को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और इस योजना को आदिवासी-मूलवासी विरोधी बताया.

इस सभा में आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, आदिवासी एकता मंच, मुंडारी खूटकट्टी परिषद समेत एक दर्जन संगठनों के बैनर तले खूंटी के करीब तीन दर्जन से भी अधिक ग्राम प्रधानों और दो हजार से भी ज्यादा आदिवासी व मूलवासी समाज के ग्रामीण जुटे थे.

सभा के बाद खूंटी के उपायुक्त को इस योजना के विरोध में प्रधानमंत्री और खूंटी उपायुक्त के नाम से एक पत्र सौंपा गया, जिसमें इस योजना को रद्द किए जाने की मांग की गई. संगठनों का कहना है कि इस मामले में जल्द ही झारखंड के मुख्यमंत्री से मिलकर भी मांग पत्र सौंपा जाएगा.

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