निजी अस्पतालों की सीमित उपलब्धता के बीच राज्य की पूरी आबादी को कोविड-19 के ख़िलफ़ वैक्सिनेट करने में चुनौतियों का हवाला देते हुए, झारखंड सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से अनुपात में बदलाव करने की मांग की है.
झारखंड सरकार की मांग है कि COVID-19 वैक्सीन का कम से कम 95 प्रतिशत हिस्सा सरकारी अस्पतालों के माध्यम से आवंटित किया जाए.
पिछले महीने भी झारखंड सरकार ने कहा था कि निजी अस्पतालों को 25 प्रतिशत वैक्सीन दिए जाने से राज्य के कई नागरिकों को डोज़ नहीं मिल पा रही है. इसलिए उसकी मांग है कि निजी अस्पतालों के आवंटन को 25 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर दिया जाए.
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने पीटीआई को बताया कि राज्य की एक बड़ी आबादी ग्रामीण और आदिवासी इलाक़ों में रहती है. इस आबादी की निजी अस्पतालों तक पहुंच बहुत सीमित है.
उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों ने जुलाई महीने के लिए आवंटित 8.28 लाख डोज़ में से बमुश्किल 1.20 लाख वैक्सीन डोज़ ही खरीदने की मांग की है. यह मांग भी सिर्फ़ तीन ज़िलों से आई है.
सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण को लिखे एक पत्र में कहा है कि राज्य में 100 प्रतिशत वैक्सिनेशन करने के लिए एक बड़ी बाधा ग्रामीण और आदिवासी इलाक़ों में यह काम करना है, क्योंकि इन इलाक़ों में निजी अस्पतालों की सीमित उपलब्धता है.
उन्होंने लिखा है कि इसीलिए झारखंड के लिए निजी अस्पतालों में वैक्सिनेशन की हिस्सेदारी को 25% से घटाकर 5% कर दिया जाए.
राज्य सरकार ने पहले भी केंद्र से अनुरोध किया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली उसकी 75 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी की निजी अस्पतालों तक पहुंच न के बराबर है. इससे पहले, ओडिशा सरकार ने भी वैक्सीन हिस्सेदारी को 95:5 करने की मांग की थी.
ओडिशा सरकार ने कहा था कि जिन शहरों में निजी अस्पताल उपलब्ध हैं भी, वहां COVID-19 वैक्सीन खरीदने (Pain Vaccination) की मांग बहुत सीमित है क्योंकि राज्य में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की आबादी 37 प्रति से ज़्यादा है.
भारत सरकार के राष्ट्रीय COVID वैक्सिनेशन अभियान के कार्यान्वयन के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि वैक्सीन निर्माता निजी अस्पतालों को उत्पादन का 25 प्रतिशत बेच सकते हैं. इन वैक्सीन के लिए निजी अस्पताल खरीद मूल्य और सर्विस टैक्स लगा सकते हैं.
झारखंड के 24 जिलों में से 13 जिलों को जनजातीय जिलों के रूप में अधिसूचित किया गया है. इसके अलावा 19 जिले वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित जिलों के रूप में सूचीबद्ध हैं. इन सभी ज़िलों में COVID-19 वैक्सिनेशन को लेकर हिचकिचाहट एक बड़ी चुनौती है.