केरल (Kerala) के कासरगोड (Kasaragod) ज़िले के नट्टक्कल गाँव में ईरूला आदिवासी (Irula adivasi) बच्चें खाराब सड़क के चलते तीन सालों से स्कूल नहीं जा रहे हैं. जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती स्कूल विभाग ने बच्चों के लिए पास के स्कूल में पढ़ाने के लिए वाहन का प्रबंधन करवाया है.
दरअसल, नट्टक्कल (Nattakkal) गाँव में कोविड महामारी के दौरान भारी बारिश के चलते यहां की सड़के टूट गई थी. इस घटना को अब तीन साल होने वाले है लेकिन अभी तक सड़कों की हालत ठीक नहीं हुई है.
सड़कें खराब होने से यह गाँव मुख्यधारा से दूर तो हो ही गया है साथ ही गाँव के बच्चें स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. नट्टक्कल गांव मुख्य रूप से ईरूला आदिवासी रहते हैं.
स्कूल के वाहन चालक ने बताया की यहां के सड़कों की हालत बेहद खराब है. अगर वो बच्चों को वाहन के ज़रिए स्कूल ले जाते है तो बच्चों के साथ कोई भी दुर्घटना हो सकती है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्कूल के शिक्षा विभाग और ज़िले के मुख्य शिक्षा अधिकारी गाँव के लोगों से मिले और उनसे बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सभी से बच्चों को पास के सरकारी स्कूल में भेजने का आग्रह किया.
इसके साथ ही उन्हें ये भी आश्वासन दिया की जैसे ही स्थिति सामान्य हो जाती है तो वो फिर से बच्चों को पढ़ने के लिए हावूर पंचायत यूनियन स्कूल में भेज सकते हैं. इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक स्कूल जाते या आते वक्त बच्चों को प्रशासन द्वारा वाहन भी उपलब्ध करावाए जाएगें.
लेकिन इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सावाल ये है की तीन साल से सड़क की खराब स्थिति के चलते जिन बच्चों को स्कूल से दूर रखा गया है. उन्हें उसी कक्षा में दाखिल किया जाएगा जिस कक्षा में वे पहले पढ़ रहे थे. या फिर उन्हें स्कूल द्वारा 3 साल आगे बढ़ाया जाएगा. क्योंकि गलती किसी की भी हो इस स्थिति में सबसे ज्यदा नुकसान बच्चों की पढ़ाई का हुआ है.
इरूला आदिवासी
इरूला आदिवासी बड़ी संख्या में तामिलनाडु के उत्तरी ज़िले तिरुवलुर जनपद में रहते हैं. इसके अलावा तामिलनाडु के चेंगलपट्टू, कांचीपुरम, तिरूवान्नामली और केरल के वायनाड, इद्दुक्की, पलक्कड़ में निवास करते हैं.
इरूला को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह यानी PVTGs में रखा गया है. ये भी पता चला है की इनकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया के जातीय समूहों से हुई है.
2011 की जनगणना के अनुसार तामिलनाडु में इनकी दो लाख से भी ज्यादा जनसंख्या है. वही केरल में इनकी लगभग 20 हज़ार और कर्नाटक में लगभग 10 हज़ार आबादी रहती है..