HomeAdivasi Dailyनागालैंड: AFSPA के खिलाफ कोन्याक ट्राइब का "ब्लैक डे"

नागालैंड: AFSPA के खिलाफ कोन्याक ट्राइब का “ब्लैक डे”

इस घटना में मारे गए ग्रामीण कोन्याक जनजाति के थे. इस जनजाति की आबादी 3 लाख से अधिक है और ये अरुणाचल प्रदेश, असम और म्यांमार में भी निवास करते हैं.

एक साल बाद भी नागालैंड के मोन में 14 नागरिकों की मौत को जनता भुला नहीं पाई है. एक साल पहले सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए लोगों की याद में रविवार और सोमवार को नागालैंड और मणिपुर के कुछ हिस्सों में काले झंडे फहराए गए और मोमबत्तियां जलाई गईं.

ओटिंग में,जहां यह सब शुरू हुआ, निवासियों ने सार्वजनिक मैदान में ‘काला दिवस’ मनाया.

मारे गए लोगों के परिवारों सहित सैकड़ों निवासियों ने मृतकों को याद किया. मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए भजन गाए गए और प्रार्थना की गई.

4 दिसंबर, 2021 को, सुरक्षा बलों ने ‘गलत पहचान’ के एक मामले में काम से घर लौट रहे छह कोयला खनिकों को निर्दयता से मार गिराया था. इसके बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया और उनकी गाड़ियां जला दीं. इस हमले से खुद को बचाने के लिए सुरक्षा बलों ने फिर गोलीबारी की जिसमें 7 और लोगों की जान चली गई. अगले दिन, मोन शहर में सुरक्षा बलों द्वारा एक और नागरिक को मार दिया गया, जिससे मरने वालों की संख्या 14 हो गई थी. मारे गए सभी लोग कोन्याक जनजाति के थे.

नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) की इकाइयों ने ओटिंग में हुई दुखद घटना की पहली बरसी पर संगठन का झंडा आधा झुका दिया. एनएसएफ ध्वज के साथ एक काला झंडा भी फहराया गया था, जो राज्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम या AFSPA को निरस्त किए जाने तक सुरक्षा बलों के साथ असहयोग को दर्शाता है.

नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF) के साथ ही ऑल नागालैंड कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन,ऑल सुमी स्टूडेंट्स (SKK) और Ao स्टूडेंट्स कॉन्फ्रेंस (AKM) के प्रतिनिधियों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

एनएसएफ के महासचिव सुपुनी एनजी फिलो ने बताया कि फेडरेशन और इसकी संघीय इकाइयां और अधीनस्थ निकाय यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे कि कठोर सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम अफस्पा को पूरे नगा मातृभूमि से निरस्त कर दिया जाए.

इसके साथ ही रोंगमेई नागा छात्र संगठन मणिपुर (आरएनएसओएम), पौमई नागा त्सुदुमई मे (पीएनटीएम), लोथा छात्र संघ (एलएसयू) सहित विभिन्न निकायों ने मोमबत्ती की रोशनी में जुलूस
का आयोजन किया.

मोन जिले में कोन्याक जनजाति की अधिक आबादी है और इस घटना में मारे गए ग्रामीण इसी समुदाय के थे. कोन्याक जनजाति की आबादी 3 लाख से अधिक है और ये अरुणाचल प्रदेश, असम और म्यांमार में भी निवास करते हैं.

इसे नागालैंड में सबसे उग्र योद्धा जनजातियों में से एक के रूप में जाना जाता है. कोन्याक जनजाति को हेडहंटर कहा जाता था. हेडहंटर यानी वो प्रक्रिया जिसके तहत इन जनजाति के लोग एक दूसरे का सिर कलम कर के साथ ले जाते थे और अपने घरों में सजा लेते थे. प्रतिद्वंद्वी जनजातियों पर हमला करने के बाद दुश्मनों के सिर को अलग करने की प्रथा यानी ‘हेड हंटिंग’ (head-hunting) को 1980 के दशक के अंत में छोड़ने वाली यह अंतिम जनजाति थी.

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