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पक्की सड़क के अभाव में आदिवासी शव को खटिया पर ले जाने को मजबूर

मध्यप्रदेश में सरकार की अनदेखी अब आदिवासी इलाकों में मुश्किल हालात पैदा कर रही है. एक घटना ने सरकार की दावों की पोल खोल कर रखी दी है.

मध्य प्रदेश में सरकार की अनदेखी के कारण आदिवासी समाज मूलभूत के अभाव में जीने को मजबूर हैं. आदिवासी बहुल धुलकोट क्षेत्र फालियोओं के सड़क कच्चे और पथरीले होने के कारण गांव में कोई भी वाहन नहीं पहुंच पाती है. रास्ते इतने बदतर है की वाहन तो दूर पैदल चलकर गांव तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है.

रात के अंधेरे में सड़क की हालात इससे भी ज्यादा बदतर हो जाती है. यहां किसी की मौत हो या फिर कोई बीमार पड़ जाए उसे खटिया के सहारे पैदल चलकर ले जाना पड़ता है. लेकिन अबतक फालियोओं तक जाने के लिए पक्की सड़के नहीं बन पाई है और इसपर सरकार की नजर बिल्कुल भी नहीं है.

दरअसल, फालिया जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर धुलकोट क्षेत्र में सरकार विकास के कार्य को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहें हैं. लेकिन सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. ग्राम पंचायत धुलकोट के माफी फालिया का आदिवासी का कहना है की यहां के आदिवासी परिवार रोजगार के अभाव में मजदूरी के लिए महाराष्ट्र पलायन करने को मजबूर हैं. जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

क्या है पूरा मामला

इसी बीच माफी फालिया के एक आदिवासी की मौत हो गई. इसके बाद शव को एम्बुलेंस की मदद से धुलकोट लाया गया. लेकिन सड़क अच्छी नहीं होने के कारण शव को एम्बुलेंस से फालिया तक नहीं ले जाया गया. ऐसे में आदिवासी समाज के लोग शव को खटिया के सहारे गांव लेकर गए.

इससे सरकार के गांव के विकास कार्य के सारे दावों की पोल खुलकर सामले आ गई है. आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है चुनाव के समय वोट मांगने के लिए नेताओं की भीड़ लगी रहती है और जब विकास की बात आती है तो सारे नेता वादों से पलट जाते हैं.

इसका खामियाजा भोले भाले आदिवासियों को उठाना पड़ता है. आदिवासियों ने सरकार से चुनाव के पहले क्षेत्र में पक्की सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं.

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