HomeAdivasi Dailyमध्य प्रदेश: खारक बांध से प्रभावित आदिवासियों ने कलेक्टर ऑफिस के सामने...

मध्य प्रदेश: खारक बांध से प्रभावित आदिवासियों ने कलेक्टर ऑफिस के सामने की जमकर नारेबाजी

2015 में खारक लघु सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बना खारक बांध बनकर तैयार हुआ. इस परियोजना के कारण 370 परिवार प्रभावित हुए थे. इन परिवार को बहुत कम मुआवजा (1.50 से 3 लाख रुपए हेक्टेयर) दिया गया और पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई.

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के भगवानपुर में खारक बांध से प्रभावित आदिवासियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है. इससे नाराज होकर आदिवासी मंगलवार दोपहर को जिला मुख्यालय पहुंचे.

लेकिन आदिवासियों को कलेक्टर कर्यालय के मुख्य गेट पर ही पुलिस कर्मियों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया और परिसर के सभी प्रवेश मार्गों पर पुलिस जवानों की पहरेदारी लगाई.

ऐसे में आक्रोशित आदिवासियों ने कलेक्टर कार्यालय के गेट के सामने से होकर गुजर रहे खरगोन-इंदौर हाईवे को जामकर के सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

आदिवासियों की क्या है मांग

आदिवासी मुआवजे की बची हुई 50 फीसदी राशि का पूरा भुगतान करने की मांग कर रहे हैं. 129 परिवारों को मुआवजे की 50 फीसदी राशि मिल चुकी है और इसके अलावा 128 परिवारों को निर्धारित मुआवजे की पूरी राशि का वितरण एक महीने के अंदर किया जाए.

क्या है पूरा मामला

2015 में खारक लघु सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बना खारक बांध बनकर तैयार हुआ. इस परियोजना के कारण 370 परिवार प्रभावित हुए थे. इन परिवार को बहुत कम मुआवजा (1.50 से 3 लाख रुपए हेक्टेयर) दिया गया और पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई.

साल 2015 में जागृत आदिवासी दलित संगठन के द्वारा इस मुद्दे को हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए Grievance Redressal Authority (GRA) का गठन कर उचित पुनर्वास देने का आदेश दिया.

मध्य प्रदेश शासन ने हाई कोर्ट के उक्त आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना. इसके बाद पुनर्वास को बेहतर बनाने के अतिरिक्त दिशा निर्देश भी सरकार को दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने एक की जगह तीन GRA के गठन का आदेश मध्य प्रदेश सरकार को दिया. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश को करीब 7 साल हो गए हैं फिर भी मुआवजा इन डूब प्रभावितों को नही मिला है.

कोर्ट ने 2020 में अंतरिम फैसला जारी किया था. जिसके तहत इन्हें 3 करोड़ 14 लाख रुपए की राशि का वितरण किया जा चुका है और 3 करोड़ 20 लाख की राशि शेष है इसका भुगतान किया जाना है.

आदिवासी कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी मांगे स्पष्ट है और 10 साल से शासन प्रशासन हमारी मांगों को पूरा नहीं कर पाया है. अब हम अपनी मांगे पूरी होने के बाद ही अपने धरने को खत्म करेंगे. तब तक धरना जारी रहेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments