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पेशाब कांड के साइड इफेक्ट्स: आदिवासी नेता ने बीजेपी के महासचिव पद से इस्तीफा दिया

विवेक कोल का इस्तीफा भाजपा के लिए एक चिंताजनक संकेत है. हालांकि पेशाब की घटना से होने वाले नुकसान को रोकने की कोशिश करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रावत के पैर धोए. साथ ही उनसे सार्वजनिक रूप से मांफी मांगते हुए उन्हें आर्थिक सहायता दी.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी (Sidhi) ज़िले में पेशाब कांड के बाद बीजेपी को झटका देते हुए जिला इकाई के महासचिव विवेक कोल (Vivek Kol) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.

उन्होंने यह कह कर इस्तीफा दिया है कि जब तक बीजेपी के स्थानीय विधायक केदारनाथ शुक्ला (Kedar Nath Shukla) पार्टी में रहेंगे तब तक वह पार्टी में घुटन महसूस करेंगे और अपने आदिवासी समुदाय के लिए खुलकर नहीं लड़ पाएंगे.

दरअसल, आदिवासी शख्स पर पेशाब करने की घटना को लेकर विधायक इस सियासी बवंडर के केंद्र में हैं. प्रवेश शुक्ला, जिन पर कांग्रेस ने केदारनाथ का प्रतिनिधि होने का आरोप लगाया है. उन्हें एक वायरल वीडियो में कोल जनजाति (Kol tribe) से आने वाले दशमत रावत (Dashmat Rawat) पर पेशाब करते देखा गया था.

यह माना जा रहा है कि इस घटना से मध्य प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) को लुभाने के सत्तारूढ़ भाजपा के प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है. मध्य प्रदेश में कुल जंनसंख्या का 21 प्रतिशत से अधिक आदिवासी समुदायों का है. मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से 47 आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.

राज्य सरकार के मुताबिक, कोल जनजाति मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है, जिसकी आबादी 10 लाख से अधिक है. जो मुख्य रूप से रीवा, सतना, शहडोल, सिद्धि, पन्ना और सिंगरौली जिलों में रहते हैं, ये राज्य के विंध्य प्रदेश क्षेत्र का हिस्सा हैं.

2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन किया लेकिन कोल जनजाति के अटूट समर्थन के कारण विंध्य प्रदेश क्षेत्र पर उसकी पकड़ बरकरार रही. विंध्य क्षेत्र में 30 विधानसभा सीटे हैं जिनमें से 24 सीटे बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जीते थे.

इसलिए बीजेपी इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए हर कोशिश कर रही है. इस साल की शुरुआत में भाजपा ने 24 फरवरी को कोल आइकन सबरी माता की जयंती पर सतना में ‘कोल महाकुंभ’ (कोल आदिवासी सम्मेलन) आयोजित किया था.

वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोल महिलाओं के लिए 1 हज़ार रुपये मासिक आहार अनुदान का भी वादा किया है. जबकि 3.5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से रीवा की त्योंथर तहसील में कोल शासकों से जुड़े ‘कोल गढ़ी किले’ के विकास पर खर्च किया जा रहा है. साथ ही अपने खुद के कारोबार में लगे कोल युवाओं को ब्याज सब्सिडी के साथ बैंक लोन का आश्वासन दिया.

लेकिन अब विवेक कोल का इस्तीफा भाजपा के लिए एक चिंताजनक संकेत है. हालांकि पेशाब की घटना से होने वाले नुकसान को रोकने की कोशिश करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रावत के पैर धोए. साथ ही उनसे सार्वजनिक रूप से मांफी मांगते हुए उन्हें आर्थिक सहायता दी और यहां तक कि आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर के एक हिस्से पर बुलडोजर चलवा दिया.

बीजेपी से इस्तीफे के सवाल पर विवेक कोल ने कहा कि जब से मैं बीजेपी में शामिल हुआ तब से मैंने पार्टी के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य किया है. लेकिन कुछ वर्षों से मैं लगातार सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला के कृत्यों से आहत होता रहा हूं.

उन्होंने आगे कहा, “इस घटना का असर कोल जनजाति पर पड़ेगा, जिनके वोट विंध्य प्रदेश क्षेत्र में निर्णायक हैं. मैं आने वाले दिनों में कोल जनजाति की सभाओं का आयोजन करूंगा. सरकार सिर्फ अपनी योजनाओं से हमें खुश नहीं रख सकती. हमें भी उचित सम्मान दिये जाने की जरूरत है.”

यह पहली बार नहीं है जब सीधी विधायक सुर्खियों में हैं. अप्रैल 2022 में उनका नाम उस घटना के संबंध में सामने आया था जिसमें सिद्धि जिले के एक पुलिस स्टेशन के अंदर आठ लोगों को उनके अंडरगारमेंट्स उतरवा दिए गए थे.

उन्हें भाजपा विधायक द्वारा दायर मानहानि मामले के सिलसिले में थिएटर कलाकार, नीरज कुंदर की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए हिरासत में लिया गया था. अपने इस्तीफे में विवेक ने लिखा है कि सिधि विधायक केदारनाथ शुक्ला ने अपनी ताकत का दुरुपयोग कर आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जा कर आदिवासी भाइयों पर अत्याचार किया. इसके अलावा सिधि के एक पुलिस स्टेशन में कलाकारों और पत्रकारों को निर्वस्त्र कर और उनको पीटवाकर हर जगह आतंक मचाया है.

उन्होंने आगे लिखा है, “अब उनके (भाजपा के) प्रतिनिधि ने आदिवासी समुदाय के एक भाई के चेहरे पर पेशाब कर दिया है जिसके चलते मैं बहुत परेशान हूं और सो नहीं पा रहा हूं. मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है. क्योंकि आज तक किसी भी मामले में प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही पुलिस ने अपने गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है. जब तक विधायक केदारनाथ शुक्ला भाजपा में रहेंगे मुझे यहां घुटन होती रहेगी. इसलिए मैं आदिवासी भाइयों की लड़ाई बिना किसी दबाव के खुलकर लड़ना चाहता हूं और पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं.”

क्या है पूरा मामला

इस पूरे सियासी बवाल की शुरुआत एक वायरल वीडियो से होती है. दरअसल 4 जुलाई के आसपास एक वीडियो वायरल होता है और उसमें देखा जाता है कि एक युवक अपने सामने बैठे शख्स पर पेशाब कर रहा है. पता चला कि यह घटना मध्य प्रदेश के सीधी जिले के कुबरी गांव कीहै. पीड़ित आदिवासी समुदाय का दशमत रावत है और आरोपी का नाम प्रवेश शुक्ला है.

सोशल मीडिया पर अचानक ट्रेंड में आ चुके इस घटना के वीडियो को लेकर मध्य प्रदेश सरकार भी तुरंत एक्शन में आ गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले का संज्ञान लिया. पुलिस-प्रशासन को आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए. इसके बाद पुलिस ने पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे आनन-फानन में गिरफ्तार कर लिया.

आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (SC/ST Act) अधिनियम और कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई. प्रशासन ने गांव में बने शुक्ला के घर का अवैध हिस्सा भी बुलडोजर चलाकर ढहा दिया.

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