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मणिपुर: ITLF का दावा – केंद्र आदिवासी लोगों की मांगों को पूरा करने में विफल रहा

मणिपुर के आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने आदिवासी लोंगो की मांगों को पूरा नहीं करने पर केंद्र के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की.

मणिपुर के आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने आदिवासी लोंगो की मांगों को पूरा नहीं करने पर केंद्र के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की.


एक बयान में आदिवासी संगठन ने कहा है कि हमने 3 अगस्त को मणिपुर के जातीय संघर्ष में मारे गए शहीदों को दफनाने की कोशिश की लेकिन गृह मंत्रालय ने हमसे सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा और सामूहिक अंतिम संस्कार को स्थगित करने का अनुरोध किया. हमने उन पर विश्वास किया और कार्यक्रम को स्थगित कर दिया.


हालांकि, चार महीने बाद भी कोई भी मांग पूरी नहीं की गई है. जिसमें इम्फाल घाटी में मुर्दाघरों में पड़े हमारे शवों की वापसी भी शामिल है.


इसके अलावा आईटीएलएफ ने कहा कि जब आदिवासी निकाय ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी तो उन्होंने सभी पहाड़ी जिलों में मैतेई राज्य बलों को हटाने की मांग की थी.


अमित शाह ने इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया लेकिन वादा किया कि वह राज्य बलों को स्वतंत्र रूप से तैनात करने की अनुमति नहीं देंगे और वे पहाड़ी क्षेत्रों में केंद्रीय बलों के साथ मिलकर काम करेंगे.


संगठन का कहना है कि हाल की घटनाओं से पता चलता है कि हमारी किसी भी मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है. वहीं आईटीएलएफ ने मैतेई पुलिस अधिकारी की मौत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैतेई स्नाइपर द्वारा एक आदिवासी पुलिस अधिकारी की हत्या पर राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

लेकिन मैतेई पुलिस अधिकारी की मौत को मोरेह शहर और टेंग्नौपाल जिले में अन्य गांवों में रहने वाले कुकी-ज़ो नागरिकों को आतंकित करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.


एक बयान में कहा गया है, “मैतेई कमांडो को नागरिकों पर हमला करने और घरों को जलाने की खुली छूट दी जा रही है. वाहनों को आग लगा दी गई है और घरों से पैसे लूट लिए गए हैं. ऐसे में केंद्रीय बल क्या कर रहे हैं?”


आखिर में आदिवासी संगठन चुनावी राजनीतिक विचारों को एक तरफ रख कर मानवीय क्षति पर ध्यान देने और विनाश चाहने वालों से अलग रहने के लिए एक अलग प्रशासन की मांग करता है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, कुछ दिन पहले पुलिस अफसर की हत्या और पुलिस कमांडो टीम पर हमला हुआ था. जिसके कारण मणिपुर पुलिस ने बीते बुधवार को 44 लोगों को हिरासत में लिया. इसमें से 32 लोग म्यांमार के नागरिक हैं.

इन पर टेंग्नौपाल ज़िले के मोरेह इलाके में पुलिस अफसर की हत्या और पुलिस कमांडो टीम पर हमला करने का आरोप लगाया गया है.


वहीं सुरक्षाबलों पर फायरिंग के दौरान टेंग्नौपाल ज़िले के मोरेह इलाके में जहां एक पुलिस अफसर चिंगथाम आनंद कुमार की मौत एक ‘स्नाइपर’ हमले में हो गई थी. तो वहीं इस घटना के कुछ देर बाद पुलिस टीम पर हमला हुआ, हमले में 3 पुलिसकर्मी घायल हो गए.


इन दो घटनाओं के बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया और पूछताछ के लिए संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


हिंसा की शुरुआत
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था.

तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और हज़ारों लोग घायल हो गए.

मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी ज़िलों में रहते हैं.

क्या है मणिपुर विवाद का कारण
राज्य में कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति दर्जे की मांग रहे हैं. नागा और कुकी आदिवासियों का कहना है की सारी विकास का फायदा केवल मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं. जिसके कारण इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं.

वहीं इम्फाल वेस्ट जिले से लगे कांगपोकपी जिला स्थित कांगचुप इलाके में मंगलवार को अज्ञात लोगों की गोलीबारी में दो पुलिस कर्मी सहित कम से कम नौ लोग घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.


प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मैतेई इलाके में ठहरे एक अलग समुदाय के पांच अज्ञात लोगों की मौजूदगी को लेकर चौकन्ना हुए फायेंग के लोगों का एक बड़ा समूह उनका पता लगाने के लिए कांगचुप इलाके में गया था.

उन्होंने बताया कि वे लोग जैसे ही वहां पहुंचे, संदिग्ध उग्रवादियों ने पहाड़ी की ओर से उन पर गोलीबारी शुरू कर दी.
बाद में ग्राम रक्षा दल और सुरक्षा बल मौके पर गए, जिसके बाद वहां दोनों ओर से गोलीबारी हुई.


पुलिस ने बताया, “कांगचुप इलाके में गोलीबारी रूक गई है और इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है.”


पुलिस ने बताया कि इस बीच, मेइती इलाके में ठहरे चार लोग लापता हैं, जबकि एक को सुरक्षा बलों ने ढूंढ लिया, जो गंभीर रूप से घायल है.

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