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MP Assembly Election 2023: सरदारपुर में आदिवासी कर रहे हैं पलायन, अधिकारियों ने जताई चिंता

763 ग्राम पंचायतों में लगभग 10 लाख लोग रोजगार की तलाश कर रहे हैं. अगर शायद कभी मजदूरी का काम मिल भी जाता है तो दैनिक मजदूरी 200 से 300 रुपये से होती है.

मध्य प्रदेश के धार ज़िले के सरदापुर, कुक्षी, मनावर, गंधवानी और धरमपुरी आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यहां 17 नवंबर को मतदान होना है. लेकिन इन विधानसभा क्षेत्रों से करीब एक लाख मतदाताओं ने पलायन कर लिया है. इतने बड़े पैमाने पर पलायन चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण चिंता के रूप में उभरा है.

कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस मुद्दे पर प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

अपनी आदिवासी आबादी के लिए जाना जाने वाला धार जिला गंभीर गरीबी का सामना कर रहा है और स्थानीय रोजगार के अवसरों की कमी ने इस प्रवासन प्रवृत्ति को प्रेरित किया है.

यहां के रहने वाले आदिवासी रोजगार की कमी के कारण पलायन करने को मजबूर हैं. हातोद गांवों में औद्योगिक विकास की बार-बार अपील के बावजूद इस क्षेत्र में अब तक किसी भी प्रकार के विकास का काम नहीं हुआ है.

ये क्षेत्र अविकसित है और यही स्थिति अन्य विधानसभा सीटों पर भी है, जहां औद्योगिक विकास का अभाव है.

परिणामस्वरूप जनजातीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा पलायन कर गया और कुछ ने तो अपने नए स्थानों को ही अपना स्थायी घर बना लिया है. मतदान प्रतिशत पर इन अनुपस्थिति के प्रभाव के बारे में चिंतित, जिला चुनाव आयोग इन प्रवासियों को 17 नवंबर तक अपने विधानसभा क्षेत्रों में लौटने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है.

वहीं अधिकारियों ने आगे के प्रवास को रोकने के लिए कार्रवाई की है. जिसमें बस परमिट की जांच करना और प्रवासियों द्वारा लिए गए मार्गों की जांच करना शामिल है.

उन्होंने परिवहन विभाग को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं की आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्रों से मजदूरों को गुजरात और अन्य क्षेत्रों में ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बसों की गहन जांच की जाए.

लक्ष्य हर कीमत पर प्रवासन को रोकना है, भले ही इसके लिए बस परमिट रद्द करना पड़े

इसके अलावा जिले में गरीबी दर चिंताजनक है. 82.04 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं.

763 ग्राम पंचायतों में लगभग 10 लाख लोग रोजगार की तलाश कर रहे हैं. अगर शायद कभी मजदूरी का काम मिल भी जाता है तो दैनिक मजदूरी 200 से 300 रुपये से होती है.

इसके अलावा सरकारी परियोजनाओं में मशीनों के उपयोग के कारण मजदूरों के लिए नौकरी के अवसर कम कर दिए हैं.

सरदारपुर क्षेत्र से गुजरात के प्रवासियों ने अपने अनुभव साझा किए हैं. जिसमें उन्होंने अपने क्षेत्र में काम की कमी की बात कही है. उनका कहना है कि खेती-किसानी से अपने क्षेत्र में गुजारा करना मुश्किल है.

वहीं गुजरात में उन्हें 500 रुपये से 600 रुपये तक की प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है इसलिए वे यहां पर काम करने के लिए आर्कषित होते हैं.

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

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