मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आदिवासी गौरव दिवस की तैयारियां जोरों पर हैं. आज बिरसा मुंडा की जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं. पीएम मोदी के इस कार्यक्रम के लिए प्रदेशभर से आदिवासी समाज के लोगों को भोपाल लाया जा रहा है.
वहीं भोपाल से करीब 300 किलोमीटर दूर मंदसौर में नैशनल हॉकी खिलाड़ी और आदिवासी समाज की बेटी से उसका आशियाना छीनने की तैयारी चल रही है. आदिवासी हॉकी खिलाड़ी सागू डाबर को घर खाली करने के लिए परेशान किया जा रहा है, और उसे सात दिन का नोटिस दिया गया था. समय होने के बावजूद उसकी झोपड़ी में बिजली की आपूर्ति काट दी गई, और कोई भी अधिकारी इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं था.
मामले के मीडिया में उछलने के बाद जिला कलेक्टर गौतम सिंह के आदेश पर रविवार को बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गई.
कलेक्टर गौतम सिंह ने फ्री प्रेस जर्नल को बताया कि उन्हें बिजली कटौती की जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा, “यह जानने के बाद मैंने तुरंत उनके आवास पर बिजली आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया. मैं सागू को सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर जानता हूं और उसकी स्थिति से वाकिफ नहीं था. मैं कार्रवाई करने से पहले उससे बात करना चाहता हूं और उसकी स्थिति को समझना चाहता हूं.”
कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि जिला प्रशासन सात दिन की नोटिस अवधि के बाद भी तत्काल कोई कार्रवाई नहीं करेगा, और अगला कदम उठाने से पहले वह सागू और उनके परिवार से बात करेंगे.
गौतम सिंह ने कहा, “मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि जब तक हम कोई रास्ता नहीं खोज लेते, तब तक उन्हें वहां से नहीं हटाया जाएगा. हम एक प्रतिभाशाली राष्ट्रीय खिलाड़ी और एक लड़की को सड़कों पर नहीं रहने दे सकते.”
प्रदेश जूनियर हॉकी खिलाड़ी सागू डाबर अपनी मां के साथ मंदसौर स्टेडियम परिसर में ही एक झोपड़ी बनाकर रहती हैं. आदिवासी समुदाय से आने वाली सागू एक दो नहीं बल्कि 10 बार नेशनल लेवल पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
दरअसल सागू की झोपड़ी सरकारी जमीन पर है, जिसे प्रशासन अवैध मानकर तोड़ रहा है. मंदसौर में प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत सरकारी जमीन पर रहना अतिक्रमण की श्रेणी में आता है, और प्रशासन की नजर में यह एक अपराध है.
मंदसौर तहसीलदार ने सागू के घर एक नोटिस भेजा था जिसमें 7 दिन के भीतर घर छोड़कर कहीं और व्यवस्था करने का फरमान है. इस नोटिस के अगले ही दिन बिजली विभाग ने घर का कनेक्शन भी काट दिया, जिसके बाद से पूरा परिवार अंधेरे में रह रहा था.
सागू के पिता की 18 साल पहले मौत हो चुकी है. एक भाई, जो कमाने वाला था, दो साल पहले उसकी भी करंट लगने से मौत हो गई. इन दुखों के पहाड़ के साथ भी सागू की मां मेघा डाबर ने सागू का हौसला कभी कम नहीं होने दिया.
सागू के पास रहने का पक्का मकान तो दूर, ढंग की झोपड़ी भी नहीं है. लेकिन खेल के प्रति सागू की निष्ठा ने प्रदेशभर में उनकी पहचान बनाई है. सागू का पूरा जीवन संघर्षों की दास्तान है, लकिन इसके बावजूद उन्होंने देश में नाम कमाया है. लेकिन प्रदेश सरकार उन्हें सम्मानित करने की बजाय उनका ठिकाना ही उजाड़ रही है.
(Image Credit: The Free Press Journal)