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US राजदूत की मणिपुर हिंसा संबंधी टिप्पणी पर बोले मनीष तिवारी – हमने कभी नहीं कहा कि अमेरिका हमसे सीखे

अमेरिका में बड़े पैमाने पर गन हिंसा की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि अमेरिका हमसे सीखे कि इस पर कैसे लगाम लगाई जाए. अमेरिका नस्लीय दंगों का सामना करता है. हमने उन्हें कभी नहीं कहा कि हम उन्हें लेक्चर देंगे.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को मणिपुर के हालात पर भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें निशाने पर लिया है. मनीष तिवारी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन के 4 दशकों में जहां तक मुझे याद है, मैंने कभी किसी अमेरिकी राजदूत को भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देते नहीं सुना है.

मनीष तिवारी की यह टिप्पणी गुरुवार को गार्सेटी की मणिपुर में हिंसा पर बयान को लेकर आई है जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र में “काफी प्रगति” हुई है और यह बिना शांति के संभव नहीं है. यह कहते हुए कि यह मुद्दा रणनीति की अपेक्षा मानवीय लिहाज से ज्यादा चिंता का विषय है.

गार्सेटी ने कहा कि अगर मणिपुर में हालत से निपटने में अमेरिका से ‘किसी भी तरह से’ सहयोग की जरूरत हो तो वह तैयार है.

गार्सेटी के इस बयान के बाद मनीष तिवारी ने कहा, “जहां तक अमेरिका के राजदूत की यह चिंता है कि देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है पर भारत ने कभी भी अपने आंतरिक मामलों में इस तरह के बयानों को नहीं सराहा.”

उन्होंने कहा, “हमने दशकों से पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई और बुद्धिमत्ता से उन पर विजय प्राप्त की. मुझे संदेह है कि क्या नए  अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल और यातनापूर्ण इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में कथित या वास्तविक, नेक इरादे या दुर्भावनापूर्ण हस्तक्षेप के बारे में हमारी संवेदनशीलता से परिचित है.”

अमेरिका में बड़े पैमाने पर गन हिंसा की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, “हमने कभी नहीं कहा कि अमेरिका हमसे सीखे कि इस पर कैसे लगाम लगाई जाए. अमेरिका नस्लीय दंगों का सामना करता है. हमने उन्हें कभी नहीं कहा कि हम उन्हें लेक्चर देंगे.”

उन्होंने कहा, “शायद नये राजदूत के लिए भारत-अमेरिका के संबंधों के इतिहास पर ध्यान देना जरूरी है.”

दरअसल, गार्सेटी ने गुरुवार को कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मणिपुर पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह रणनीतिक चिंता का मसला है. मेरा मानना है कि यह मानवीय चिंता का विषय है. मैं सोचता हूं कि हम सभी को, जब कोई बच्चा या व्यक्ति मरता है तो यह परवाह करने की जरूरत नहीं है कि हमें भारतीय होना जरूरी है. और हम जानते हैं कि बाकी कई सारी चीजों के लिए शांति पहली शर्त है.”

गार्सेटी ने यह भी कहा कि मणिपुर में हिंसा “भारतीय मसला” है और अमेरिका क्षेत्र में शांति के लिए प्रार्थना करता है क्योंकि अगर क्षेत्र में “शांति कायम हो तो यह ज्यादा सहयोग, ज्यादा प्रोजेक्ट्स और ज्यादा निवेश ला सकता है.”

अमेरिकी राजदूत ने कहा था, “पूर्व और उत्तर-पूर्व में काफी प्रगति हुई है. देश ने हाल के दिनों में कुछ उल्लेखनीय काम किए हैं और जो कि शांति के बिना जारी नहीं रह सकती. इसलिए अगर हमसें कहा जाए तो हम किसी भी तरीके से सहयोग के लिए खड़े हैं और तत्पर है.”

वहीं इस बीच मनीष तिवारी ने मणिपुर में संकट को संभालने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे.

तिवारी ने कहा, “मणिपुर में जो भी हो रहा है वह दुखद है. पीएम मोदी को वहां जाना चाहिए था और काफी पहले बात करनी चाहिए थी. गृहमंत्री अमित शाह को जाना चाहिए था जब तक राज्य में स्थिति वापस सामान्य नहीं हो जाती. हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे.”

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद राज्य में पहली बार हिंसा भड़क उठी थी. अब तक इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. वहीं हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली हुई है.

(Manish Tewari, PTI File image)

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