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माफियाओं से मिलीभगत, साइकिल पर बालू ढोने वालें आदिवासी को पुलिस ने गिरफ़्तार किया

झारखंड के आदित्यपुर में साइकिल से बालू ढोने के जुर्म में आदिवासियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. दरअसल इस क्षेत्र में बालू ढोने और परिवहन चालने पर सरकार ने बैन लगा दिया है. लेकिन इन आदिवासियों का रोजगार एकमात्र साधान बालू ढोना है.

झारखंड के आदित्यपुर जिले में आदिवासियों को बालू ढोने की वज़ह से गिरफ़्तार किया गया है. सरायकेला- खरसावां जिले में भी अवैध रुप से बालू खनन और परिवहन पर रोक लगाई गई है. वहीं यहां अक्सर बालू माफिया रात के अंधेरे में बालू खनन करते रहते है. इन सभी माफियाओं के साथ बड़े अफसर भी शामिल है. इसलिए सरकारी कर्मचारियों द्वारा अक्सर बालू माफियों को नज़र अंदाज कर दिया जाता है.

वहीं बालू पर इसलिए रोक लगाई जाती है क्योंकि देश के हर क्षेत्र में पर्यावरण सरक्षण के चलते एनजीटी के गाइडलाइन्स को लागू किया जाता है.

क्या है एनजीटी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal ) अधिनियम को 18 अक्टूबर 2010 को लागू किया गया था. इस अधिनियम का उद्येश्य पर्यावरण का संरक्षण करना है.

इस अधिनियम के तहत जरूरत पड़ने पर नए गाइड लाइन्स और नियमों को लागू किया जाता है.

झारखंड के जिले का एकमात्र रोजगार साधान है बालू ढोना
झारखंड के आदित्यपुर और सरायकेला- खरसावां जिले के आदिवासियों का रोजगार का एकमात्र साधान बालू ढोना है. लेकिन इन सभी जिलों में बालू के खनन पर रोक लगाई गई है. इसलिए बालू ढोने का कार्य करने वाले कुछ आदिवासी समुदाय को पुलिस द्वारा बालू खनन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

इन सभी क्षेत्रों में आदिवासी सरकार है इसके बावजूद भी वे यहां के आदिवासियों की समस्या को समइने में असमर्थ है.इन सभी जिलों के आदिवासी समुदाय का रोजगार का एकमात्र साधान बालू ढोना है. अगर सरकार सही मायाने बालू खनन की इस प्रथा को रोकना चाहती है तो उन्हें उन सभी आदिवासियों को रोजगार देना होगा जो बालू ढोने के इस काम पर निर्भर है.

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