ओडिशा (Odisha) के गजपति जिले के मोहना ब्लॉक के एक छोटे से आदिवासी गांव भलियागुडा (Bhaliaguda) के निवासी अभी भी बुनियादी सुविधाओं से बेहद दूर है. ये गांव 2012 में पुलिस मुठभेड़ में पांच माओवादियों के मारे जाने के बाद सुर्खियों में आया था.
मुठभेड़ के बाद सरकारी अधिकारियों ने विकास के आश्वासन के साथ कई बार इस दुर्गम गांव का दौरा किया. लेकिन ग्यारह साल बाद भी भालियागुडा के निवासियों की स्थिति में अभी भी बेहतरी के लिए बदलाव आना बाकी है.
25 से अधिक परिवारों वाले गांव में सड़क नहीं है. गांव वाले टिन की छत वाले घरों में रहते हैं और वन उपज की बिक्री और खेती करके अपना जीवनयापन करते हैं. एक निवासी जया मलिक ने कहा कि राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा शुरू की गई किफायती आवास योजनाएं अभी तक भालियागुडा तक नहीं पहुंची हैं. बारिश के दौरान मिट्टी की दीवारों के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीण दयनीय स्थिति में रहते हैं.
2014 में भालियागुड़ा में एक प्राथमिक विद्यालय शुरू किया गया था. लेकिन न्यूनतम छात्र संख्या की कमी के कारण इसे 2020 में बंद कर दिया गया था. अब गांव के बच्चे केसरा के प्राथमिक विद्यालय में जाते हैं जो भलियागुड़ा से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
इसी तरह ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 2015 में एक टंकी का निर्माण कराया गया था लेकिन देखरेख के अभाव में टंकी अब जर्जर हो गई है. जया ने कहा, “निवासी अपनी रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए पास की धारा के दूषित पानी को इकट्ठा करने के लिए मजबूर हैं. जल संकट अब और गहरा गया है क्योंकि धारा सूख रही है.”
एक अन्य ग्रामीण जलाधर मलिक ने कहा कि चुनाव के समय विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भालियागुड़ा में कई वादे लेकर आते हैं जो कभी पूरे नहीं होते हैं. उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि सरकार ने हमारी दुर्दशा पर आंख मूंद ली है और हम बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पीड़ित हैं.”
मोहना ब्लॉक के अध्यक्ष रंजीब सबर ने कहा कि भालियागुड़ा की समस्याओं को पहले ही संबंधित अधिकारियों के सामने रखा जा चुका है. उन्होंने कहा, “गांव में जल्द ही ट्यूबवेल लगवाए जाएंगे. इसके अलावा विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत आवास लाभ प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.”
(प्रतिकात्मक तस्वीर)