ओडिशा के करीब 60 आदिवासी परिवारों ने ओडिशा के जाजपुर जिले के सब कलेक्टर दफ़्तर के बाहर धरना दिया. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि भूमि पट्टों की कमी के कारण वे ओडिशा सरकार की विभिन्न योजनाओं से वंचित हैं.
ये सभी आदिवासी परिवार जाजपुर के गोरादिया इलाके में रहते हैं. यह क्षेत्र राज्य के व्यासनगर तहसील में पड़ता है. यहां के आदिवासी 66 वर्षों से इन इलाकों में रहे रहें हैं बावजूद इसके इनके पास अब तक अपनी जमीन का पट्टा नहीं है. जमीन का पट्टा न होने के चलते इन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
हैरानी की बात ये है की ओडिशा के निवासी होकर भी इन आदिवासी परिवारों को राज्य सरकार के योजनाओं से वंचित रखा गया है. ये लोग वे मो जगा मिशन, घरा डीहा, बसुंधरा और वन भूमि अधिकार कानून सहित किसी भी मौजूदा सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
योजनाओं का लाभ ना मिलने की वज़ह से इन्होनें धरना देने का फैसला किया है ताकि इन सभी की आवाज़ सरकार तक पहुंच सके. इन पीड़ित परिवारों ने पहले रैली निकाली और बाद में उप-जिला अधिकारी कार्यालय के सामने धरना दिया.
जमीन पट्टा के अलावा जन्म प्रमाण पत्र और कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों से इन्हें वंचित रखा गया है. जरूरी दस्तावेज ना होने की वजह से इनके बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा है.
सिविल सोसाइटी फोरम के सचिव बिस्वनाथ पात्रा ने कहा, “वर्तमान में ओडिशा सरकार बसुंधरा, मो जगा मिशन और अन्य सहित विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य भर में भूमि पट्टे वितरित कर रही है. लेकिन हैरानी की बात है कि जाजपुर रोड से महज 5 किलोमीटर दूर रहने वाले इन आदिवासियों की ओर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. आदिवासी जाति एवं अन्य प्रमाणपत्रों से भी वंचित हैं. इन समुदायों के बच्चे भी वंचित वर्ग के हैं.”
वहीं सहायक कलेक्टर, अजय पांडा ने कहा, “हमने उनकी शिकायतों को स्वीकार कर लिया है और हम तहसीलदार और जिला कल्याण अधिकारी द्वारा जांच के बाद पात्र लाभार्थियों को पट्टे वितरित करने के लिए कदम उठाएंगे.”
सरकार आदिवासियों के लिए कई योजनाएं तो लागू करती है लेकिन वो जमीनी स्तर पर इतनी प्रबल नहीं होती है. या कह सकते हैं की जरूरतमंद लोगों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता क्योंकि लागू करते वक्त सरकार इन योजनाओं को उन तक पहुंचाने के चरणों पर ध्यान नहीं देती है.
प्राशासन को यह समझना होगा की योजनाओ का फायदा जनता को तभी हो सकता है. जब उसे सही ढंग से लागू किया जाए. इसके अलावा सूचित करने के लिए जमीनी स्तर पर प्रभावक तरीके से अभियान चलाने की भी जरूरत है.
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