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जम्मू-कश्मीर: आदिवासी परिवारों के पलायन के लिए सरकार कर रही परिवहन व्यवस्था की तैयारी

सरकार जम्मू कश्मीर के प्रवासी आदिवासियों को हर साल की तरह इस भी परिवहन सेवा देगी. जिसके तहत विस्थापन करने वाले प्रवासी आदिवासियों के लिए 150 ट्रकें चलाने की घोषणा की गई है

जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के प्रवासी आदिवासी जो सर्दियों में विस्थापन करके कश्मीर से जम्मू जाते हैं उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं. ऐसे में हर साल राज्य सरकार श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग और मुगल रोड से जाने वाले प्रवासी आदिवासियों की पैदल यात्रा को आसान बनाने के लिए ज़्यादा संख्या में ट्रकें चलाती हैं.  

हर साल की तरह इस साल भी सरकार ने जनजातीय कार्य विभाग (Tribal Affairs Department) और जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (J&K Road Transport Corporation) के साथ मिलकर प्रवासी आदिवासियों के लिए ट्रकें चलाएगी.

दरअसल सर्दियों की शुरुआत होने वाली है इसलिए सोमवार को जनजातीय कार्य विभाग (TAD), जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (J&K RTC) और संबंधित जिला प्रशासन के साथ मिलकर प्रवासी आदिवासियों को परिवहन सेवा देने की घोषणा की है.

जिसमें उन्होनें कहा की जो पशु पालने वाले आदिवासी हैं वो अपने परिवार के साथ कश्मीर से जम्मू विस्थापन करते हैं. उनके लिए परिवहन की व्यवस्था की गई है. जिसके तहत इस साल 150 ट्रकें चलाई जाएगी.

एक आधिकारिक प्रवक्ता के जारी बयान में यह कहा गया है की ऊंचे इलाकों में विस्थापन सितंबर के बीच में शुरू होगा और नवंबर 2023 तक चलेगा.

उपायुक्तों (डीसी) ने प्रवासन को सुविधाजनक बनाने और इससे संबंधित व्यवस्था करने के लिए नोडल अधिकारियों को अधिसूचित किया है.

इसके अलावा परिवहन विभाग के सचिव के ह़िसाब से जम्मू-कश्मीर आरटीसी ने उप-आयुक्त से कहा है की जिला प्रशासन की मांग के हिंसाब से ट्रक उपलब्ध कराए. साथ ही यह भी कहा गया है कि वो यात्रा को सुगम और समय पाबंद बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर ट्रकों और छोटे वाहनों के चालक को काम पर रखें.

इससे पहले  जनजातीय मामलों के सचिव शाहिद चौधरी ने परिवहन सचिव जी प्रसन्ना रामास्वामी, उप आयुक्तों (DCs), आरटीसी (RTC) प्रबंधन और अन्य संबंधित विभागों के साथ  मिलकर व्यवस्थाओं का जायज़ा भी लिया था.

वही दूसरी ओर पुलवामा, अनंतनाग, रामबन, उधमपुर, कुलगाम, शोपियां, पुंछ और राजौरी के उप आयुक्त (DCs) विस्थापन की पूरी निगरानी करेंगे और जम्मू-कश्मीर आरटीसी, पशु और भेड़पालन विभाग और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर विस्थापन की व्यवस्था करेंगें.

इसके अलावा एक बैठक भी हुई थी. जिसमें एमडी जेएंडके आरटीसी, निदेशक, जनजातीय मामले, निदेशक, जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई), सचिव, सलाहकार बोर्ड और अन्य अधिकार भी शामिल हुए थे.

इसके साथ ही टीआरआई जम्मू-कश्मीर को कहा गया है की वह हेल्पलाइन नंबर का प्रचार रेडियो और सभी मीडिया पर करें ताकि मुसीबत के समय हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके मदद ली जा सकें.

(Image credit: AFP)

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