HomeAdivasi Dailyआज से आदिवासी छात्रों के लिए स्वास्थ्य जांच परियोजना होगी शुरू

आज से आदिवासी छात्रों के लिए स्वास्थ्य जांच परियोजना होगी शुरू

इस परियोजना का उद्देश्य कक्षा 6 से 12 तक नामांकित छात्रों की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति की जांच करना है. स्क्रीनिंग देश के 14 राज्यों में फैले चयनित 55 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में की जाएगी.

भारत सरकार आज आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों के माध्यम से हेल्थ स्क्रीनिंग और मैनेजमेंट की एक राष्ट्रीय स्तर की परियोजना शुरू करेगी, जिससे 20 हज़ार से अधिक आदिवासी छात्रों (Tribal students) को लाभ होगा.

आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) ने अपनी रिसर्च काउंसिल, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (CCRAS) के माध्यम से जनजातीय मामलों के मंत्रालय और आईसीएमआर-एनआईआरटीएच जबलपुर (ICMR-NIRTH Jabalpur) के सहयोग से आदिवासी छात्रों के लिए यह स्वास्थ्य पहल की है.

इस पहल की शुरुआत केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री और कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) नई दिल्ली में करेंगे.

इस परियोजना का उद्देश्य कक्षा 6 से 12 तक नामांकित छात्रों की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति की जांच करना है. स्क्रीनिंग देश के 14 राज्यों में फैले चयनित 55 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में की जाएगी.

सरकार का दावा है कि एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) शैक्षणिक शिक्षा, सर्वांगीण विकास और अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं.

फिलहाल देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, खेल और कौशल विकास के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ 401 कार्यात्मक ईएमआरएस हैं.

वहीं इस स्वास्थ्य परियोजना में एनीमिया, हीमोग्लोबिनोपैथी, कुपोषण और तपेदिक पर विशेष ध्यान दिया गया है. आयुर्वेद के सिद्धांतों के मुताबिक छात्रों के बीच स्वस्थ जीवन शैली प्रथाओं को विकसित करने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही बीमारियों के प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण बनाया जाएगा.

जनजातीय विकास के लिए सहयोग, अभिसरण और तालमेल के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए अक्टूबर 2022 में आयुष मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ, जबलपुर की 16 परिधीय इकाइयों द्वारा हस्तक्षेप किया जाएगा.

सीसीआरएएस ने 20 राज्यों के ईएमआरएस में 72 पोषण वाटिकाएं विकसित कीं. सीसीआरएएस संस्थानों ने झारखंड के सरायकेला में जनजाति महोत्सव के दौरान मेगा स्वास्थ्य शिविरों में भी हिस्सा लिया.

इन प्रयासों के बावजूद भारत में जनजातीय स्वास्थ्य एक चिंता का विषय बना हुआ है, जिसमें वंचित आबादी तक सफल स्वास्थ्य सेवा वितरण में बाधाएँ आ रही हैं.

2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की जनजातीय जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है. उनमें से 89.97 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और 10.03 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में रहते हैं.

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में आदिवासी बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी चिंताजनक है. ऐसे में अब देखना ये है कि सरकार द्वारा शुरू की जा रही इस स्वास्थ्य जांच परियोजना का लाभ जमीनी स्तर पर आदिवासी छात्रों को किस हद तक मिलता है.

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