तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu government) ने सोमवार को ‘थोलकुडी’ (Tholkudi) योजना की घोषणा की. जिसका उद्देश्य 1,000 करोड़ रुपये की लागत से आदिवासी बस्तियों (Tribal habitations) में सुविधाओं को उन्नत करना और जीवन स्तर में सुधार करना है.
वित्त मंत्री थंगम थेनारासु (Thangam Thennarasu) ने विधानसभा में कहा कि इस योजना के तहत आदिवासी बस्तियों में सड़कें, पीने का पानी, स्ट्रीट लाइट और पक्के घर उपलब्ध कराए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आदि द्रविड़ बस्तियों में सुविधाएं बनाने और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास लाने के लिए अगले वर्ष ₹230 करोड़ की लागत से अयोथी थास पंडितार बस्ती विकास योजना लागू की जाएगी.
उन्होंने कहा, “इस योजना के तहत आदि द्रविड़ और आदिवासी समुदायों के लाभ के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से शादी, इनडोर स्पोर्ट्स और ट्रेनिंग की सुविधाओं वाले 120 सामुदायिक हॉल का निर्माण किया जाएगा.”
इस वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना लागू की जाएगी, जिसमें रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए 1,000 चयनित आदिवासियों को तमिलनाडु कौशल विकास निगम के माध्यम से आवास के साथ नवीनतम औद्योगिक तकनीकों पर कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि 1,000 आदिवासी युवाओं को नवीनतम औद्योगिक तकनीकों में कुशल बनाने के लिए 5 करोड़ की लागत से एक योजना लागू की जाएगी. जिसके तहत उन्हें आवास दिया जाएगा और तमिलनाडु कौशल विकास निगम इस योजना का नेतृत्व करेगा.
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष में ‘सीएम अराइज’ योजना को लागू करने के लिए 50 करोड़ का आवंटन किया जाएगा. जिसके माध्यम से उद्यमी 35 फीसदी ब्याज सब्सिडी के साथ 10 लाख तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि बजट अनुमान में आदि द्रविड़ और आदिवासी कल्याण विभाग के लिए 3,706 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
आदिवासी कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, एकीकृत आदिवासी विकास कार्यक्रम के तहत राज्य भर में 10 पहाड़ियों पर 4,500 से अधिक आदिवासी बस्तियां हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने इन बस्तियों में बुनियादी ढांचे का आकलन किया है और कई कार्यों को क्रियान्वित कर रहा है. हम आवश्यकताओं का सत्यापन भी करेंगे और योजना के तहत इस साल 250 करोड़ रुपये के कार्य भी करेंगे. योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आदिवासी बस्तियाँ आत्मनिर्भर हों.
बजट में यह भी कहा गया है कि पहल के हिस्से के रूप में आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए समर्पित कार्यक्रम लागू किए जाएंगे.
बजट में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु में बोली जाने वाली सौराष्ट्र और बडुगा भाषाओं के दस्तावेजीकरण और संरक्षण के लिए 2 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. साथ ही भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए टोडर, कोठार, सोलागर, कानी और नारिकुरावर जैसी विभिन्न जनजातियों के भाषाई संसाधनों और ध्वन्यात्मक रूपों को एंथ्रोग्राफिकल के नजरिए से देखा जाएगा.
एक आदिवासी कल्याण अधिकारी ने कहा, “इस योजना के लिए स्थानीय शिक्षित युवाओं सहित हितधारकों को शामिल करते हुए एक समिति बनाई जाएगी. क्योंकि इन भाषाओं में स्क्रिप्ट नहीं हैं, इसलिए ध्वनि को तमिल और अंग्रेजी दोनों में डॉक्यूमेंट किया जाएगा. यह पहली बार है कि यह संरचनात्मक रूप से किया जा रहा है.”
(प्रतिकात्मक तस्वीर)