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भारत जोड़ो न्याय यात्रा: असम में राहुल गांधी ने फिर उठाया आदिवासी बनाम वनवासी का मुद्दा

कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को आदिवासी बनाम वनवासी मुद्दे से आगे बढ़ना होगा. उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार पीएम जनमन के नाम से आदिवासियों में भी लाभार्थियों का एक बड़ा तबका तैयार कर रहे हैं.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (congress Rahul Gandhi) ने बीजेपी पार्टी (BJP Party) पर ये आरोप लगाए की बीजेपी आदिवासी लोगों को जंगलों तक सीमित रखना चाहती है और उन्हें शिक्षा और अन्य अवसरों से वंचित करना चाहती है.

भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) के दौरान असम (Assam) में अपनी पहली सार्वजनिक बैठक में राहुल गांधी ने दावा किया कि आदिवासियों का हक संसाधनों पर सबसे पहले बनता है क्योंकि वह वनों में रहने वाले सबसे पहले निवासी है.

यह बैठक शुक्रवार के दिन रखी गई थी और इसमें माजुली ज़िले के आदिवासी भी शामिल थे. राहुल गांधी ने कहा, “हम आपको सलाही कहते हैं जिसका मतलब है पहले निवासी और बीजेपी आपको वनवासी कहती है, जिसका मतलब है जंगलों में रहने वाले लोग.”

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी जो राज्य में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है, आदिवासियों को जंगलों तक सीमित रखना चाहती है. उनके बच्चों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी सीखने और व्यवसाय करने जैसे अवसरों से वंचित करना चाहती है.

इसके अलावा राहुल गांधी ने माजुली ज़िले के आदिवासी लोगों को संबोधित करते हुए कहा ,“हम चाहते हैं कि जो आपका(आदिवासी) है वह आपको लौटाया जाए. आपका जल, जमीन, जंगल पर आपका ही आधिकार होना चाहिए.”

भारत जोड़ो न्याय यात्रा

यह यात्रा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 14 जनवरी को मणिपुर के थौबाल ज़िले से शुरू की थी, जिसे महाराष्ट्र में खत्म किया जाएगा.

इस 6200 किलोमीटर की यात्रा को तीन महीने के भीतर तय किए जाने की उम्मीद है. इस यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 14 राज्यों का दौरा करेंगे.

जिनमें मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघलाय, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र शामिल है

राहुल गांधी को आदिवासी पहचान से आगे बढ़ना होगा

यह बात सही है कि आरएसएस और बीजेपी आदिवासियों को वनवासी कहते थी. यह बात आदिवासियों के बड़े तबके को खटकती भी थी. राहुल गांधी ने यह बात भारत जोड़ा यात्रा के पहले चरण में मध्य प्रदेश में उठाई थी, तो आदिवासियों ने इस बात का स्वागत किया था.

इसके बाद यह बात राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी चुनाव के दौरान कई बार कही है. लेकिन कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को यह समझना होगा कि अब आरएसएस के संगठन भी आदिवासियों के लिए वनवासी संबोधन पर ज़ोर नहीं देते हैं.

इसलिए कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को इस मुद्दे से आगे बढ़ना होगा. उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार पीएम जनमन के नाम से आदिवासियों में भी लाभार्थियों का एक बड़ा तबका तैयार कर रहे हैं.

इस योजना का सरकारी ख़र्चे पर बड़ा प्रचार किया जा रहा है. लेकिन इस योजना में सरकार जो दावे कर रही है उससे जुड़े कोई तथ्य या पड़ताल कांग्रेस पार्टी पेश नहीं कर रही है.

कांग्रेस पार्टी को धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों की डीलिस्टिंग जैसे मुद्दों से भी नज़र चुराने की बजाए इस चुनौती से निपटने की रणनीति बनानी होगी.

कांग्रेस पार्टी का आदिवासी इलाकों में परंपरागत आधार अभी बचा है. ख़ासतौर से देश के ज़्यादातर राज्यों के आादिवासी गांधी परिवाार के साथ एक ख़ास रिश्ता महसूस करते हैं. आदिवासी समुदायों के अधिकार देने के मामले में कांग्रेस की सरकार का शानदार रिकॉर्ड रहा है.

लेकिन पिछले लगभग दो साल में बीजेपी ने आदिवासी इलाकों में बेहद सघन प्रचार किया है.

यही वजह है कि राजस्थान के साथ साथ कांग्रेस को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा.

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