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भूमि अधिकार प्राप्त आदिवासियों को भी पीएम-किसान का लाभ दें, केंद्र का राज्यों का निर्देश

सरकार पीएम जनमन के तहत पीवीटीजी कल्याण के जो दावे कर रही है उनके समर्थन में ठोस आंकड़े पेश नहीं दिए जा रहे हैं. मलन पट्टाधारी आदिवासियों को पीएम किसान सम्मान निधि के दायरे मे लाने का काम तो 2019 में ही शुरू हो गया था.

केंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र में लिख कर कहा है कि जिन आदिवासियों को वन अधिकार के तहत ज़मीनों का पट्टा मिला है, उन्हें भी इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए. पीएम-किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Samman Nidhi Yojana) के तहत किसानों को आय सहायता के लिए हर साल 6 हजार रुपये की धनराशि दी जाती है.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने दावा किया है कि पिछले तीन हफ्तों में एफआरए के अंतर्गत भूमि पट्टा अधिकार रखने वाले लाभार्थी में लगभग तीन लाख आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों को पीएम-किसान योजना से जोड़ा गया है.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार एफआरए के तहत 23.4 लाख से अधिक व्यक्तियों को भूमि अधिकार मिल चुका हैं.

सरकार के द्वारा राज्यों को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि अर्जुन मुंडा ने दोनों मंत्रालय यानी जनजातीय मामलों के मंत्रालय और कृषि मंत्रालय का नेतृत्व किया है और उनका यह निर्णय है कि जितने भी एफआरए लाभार्थियों को भूमि अधिकार का लाभ मिला है उन सभी को पीएम-किसान योजना का भी लाभ मिलना चाहिए.

कृषि मंत्रालय का नियम

अधिकारियों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने साल 2019 में एक अधिसूचना के द्वारा अनुसूचित जनजातियों और भूमि ‘पट्टों’ वाले अन्य पारंपरिक वन निवासियों को पीएम किसान के योजना में शामिल किया था.

हालांकि योजना कितनी सफल रही यह देखने के लिए कोई अलग डेटाबेस उपलब्ध नहीं है. इसलिए यह पता लगाना बेहद मुश्किल काम है कि असल में एफआरए के अंतर्गत पट्टा प्राप्त कितने लोगों को पीएम-किसान से लाभ हुआ है.

इस बार में एक अधिकारी ने कहा है कि अब अंतर को खत्म करने के लिए राज्यों को वास्तविक पात्र लाभार्थियों के दस्तावेजों में गलतियों को ठीक करने में मदद के लिए उपाय करने को कहा गया है.

लाभार्थियों को योजनाओं से जोड़ने का काम

केंद्र सरकार का कहना है कि एफआरए लाभार्थियों किसानों को पीएम-किसान से जोड़ने का अभियान में पहली बार पीवीटीजी यानी विशेष रूप से कमजोर जनजातियों के परिवारों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. इसकी शुरुआत दिसंबर 2023 के आखिरी सप्ताह में की गई थी. यह पहल पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN- Pradhan Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan) योजना के हिस्से के रूप में की गई है.

योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा

सरकार की तरफ से जारी डेटा में पिछले 25 दिनों के आंकड़ों के अनुसार लगभग 26 हजार 7 सौ से अधिक पीवीटीजी को पीएम-किसान से जोड़ने के दावा किया गया है. इसके साथ ही 7 हजार से अधिक लोगों के पीएम जन धन योजना खाते खोले जाने के और करीब 50,000 जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने का दावा भी किया जा रहा है.

यह बात सही है कि पीएम जनमन के तहत आदिवासियों के दस्तावेजों को ठीक करने की पहल की जा रही है. इसके साथ ही कई और योजनाओं को पीवीटीजी आदिवासियों की बस्तियों को लागू करने का प्रयास तेज हुआ है. लेकिन बारीकी से देखने पर पता चलता है कि सरकार इस योजना में उपलब्धियों के जो दावे कर रही है इसको साबित करने के आंकड़े पेश नहीं किये जा रहे हैं.

मसलन पीएम किसान सम्मान निधि के दायरे में पट्टाधारी आदिवासियों को भी शामिल करने का काम कई साल से चल रहा है. लेकिन इसे भी नई योजना के तौर पर पेश किया जा रहा है.

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