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कर्नाटक: आज़ादी के 75 साल बाद कुरूबा आदिवासी को रोशनी मिलने की उम्मीद

आदिवासी बस्ती में निरक्षण करने वाले आदिवासी कल्याण विभाग से आए अधिकारी ने इस बात पर हैरानी जताई कि PVTG के 20 आदिवासी परिवारों को बिजली नहीं दी गई थी, जबकि पूरे गांव में बिजली थी. लेकिन शायद उससे भी ज़्यादा हैरानी की बात ये है कि जनजाति विभाग के अधिकारी यह हैरानी जता रहे थे, जबकि यह उनके विभाग की जि़म्मेदारी है कि आदिवासी बस्तियों में सभी सुविधाएं समय से मिलें.

कर्नाटक (Karnataka) के हेडियाला रेंज (hediyala range) के बांदीपुर टाइगर रिजर्व (Bandhipur Tiger reserve) से करीब 1 किलोमीटर की दूरी में स्थित आदिवासी बस्ती को सादियों बाद बिजली सुविधा ( kuruba tribal will get electricity) मिलने की उम्मीद है.

इस आदिवासी बस्ती को 10 जनवरी के दिन चामुंडेश्वरी बिजली आपूर्ति निगम (सीईएससी) के पावर ग्रिड (power grid connect to tribals settlement) से जोड़ा गया है.

यह आदिवासी बस्ती कोथनल्ली कॉलोनी कर्नाटक के मैसूर ज़िले में स्थित है. इस पूरी आदिवासी बस्ती में जेनु कुरुबा समुदाय के 20 परिवार रहते हैं. वनों के बीचों-बीच स्थित इस बस्ती में रहने वाले आदिवासी समुदाय सादियों से अंधरे में रहे रहें है.

हैरान करने वाली बात ये है की कोथनल्ली कॉलोनी में स्थित अन्य गाँवों में बिजली कनेक्शन मौजूद है, लेकिन जेनु कुरुबा समुदाय के आदिवासी बस्ती को अब तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया था.

अब आजादी के 75 साल बाद यहां के लोगों को रोशनी मिलने की उम्मीद दी जा रही है.

यह बताया गया है कि पीएम जनमन के तहत कर्नाटक में जेनु कुरुबास और कोरगास को योजना का लाभ दिया जाएगा.

ये दोनों ही आदिवासी समुदाय पीवीटीजी यानी विशेष रूप से कमजोर जनजाति से आते है. इसलिए कुरूबा आदिवासियों के बस्ती में लगे पावर ग्रिड का खर्चा जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) सीईएससी द्वारा किया गया है.

कोटनहल्ली कॉलोनी का निरीक्षण करने वाले जनजातीय विभाग के अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि लगभग 40 आदिवासी घरों दो बस्तियों में विभाजित किया गया है. इनमें से 20 घरों में बिजली की आपूर्ति थी और अन्य 20 घरों की बस्ती में बिजली कनेक्शन का अभाव था.

उन्होंने ये भी कहा की यह अजीब बात है कि गांव के नजदीक के कुछ घरों में बिजली थी, जबकि 20 घर, जो टाइगर रिजर्व सीमा से लगभग 1 किमी की दूरी में स्थित है और जहां जानवर के हमले का खतरा भी अधिक है, वहां अभी तक बिजली उपलब्ध नहीं करवाई गई थी.

उससे भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात शायद यह है कि जनजातीय विभाग का अधिकार यह बात कह रहे थे. जिनके विभाग की ज़िम्मेदारी है कि आदिवासियों को मूलभूत सुविधाएं मिलें.

इसी संदर्भ में स्थानीय ग्राम पंचायत के सदस्य, मुजीब ने बताया कि लगभग 15 से 20 साल पहले उनके लिए घर बनाए गए थे, लेकिन किसी कारण से बिजली की आपूर्ति नहीं की गई और कई अनुरोधों के बावजूद इस समस्या को ठीक नहीं किया जा रहा था.

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