HomeAdivasi DailyRajasthan Assembly Polls 2023: आदिवासी दलों ने TSP क्षेत्रों में नौकरियों में...

Rajasthan Assembly Polls 2023: आदिवासी दलों ने TSP क्षेत्रों में नौकरियों में 90% आरक्षण का किया वादा

भारतीय आदिवासी पार्टी ने घोषणापत्र में 60 फीसदी बजट शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च, सिंचाई की व्यवस्था करवाना, बोर्ड परीक्षाओं में विद्यालय स्तर पर प्रथम रहने वाले छात्र-छात्राओं को हवाई यात्रा, वनाधिकार अधिनियम का आदिवासियों को लाभ दिलाने का काम, प्रत्येक ब्लाक पर निशुल्क कोचिंग व लाइब्रेरी की व्यवस्था, भीली बोली भाषा बोर्ड का गठन करना, टीएडी का अलग से केडर बनवाने सहित 21 मुद्दों को शामिल किया है.

दिवाली के बाद अब राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रचार गति पकड़ने वाला है. फिर से पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में रैली, सभाओं और रोड़ शो का आयोजन किया जाएगा. इसी बीच राज्य में आदिवासी पार्टी – भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) ने अपने घोषणापत्र में आदिवासी उप-योजना क्षेत्रों में नौकरियों में 90 फीसदी तक आरक्षण का वादा किया है.

भारतीय ट्राइबल पार्टी 17 और भारतीय आदिवासी पार्टी 27 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वे सरकारी क्षेत्र और निजी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाएंगे.

बीटीपी आदिवासियों के जल, जमीन और जंगल के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक चाहती है. बीटीपी के प्रदेश अध्यक्ष वेला राम घोगरा ने स्पष्ट रूप से कहा कि आदिवासी क्षेत्र पर पहला दावा आदिवासी लोगों का है.

घोगरा ने कहा, “हमारा सबसे महत्वपूर्ण वादा वर्तमान आरक्षण योजना के गंभीर अन्याय को समाप्त करना है, जो टीएसपी क्षेत्रों में आदिवासियों को केवल 45 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है. पार्टी सभी के विकास के खिलाफ नहीं है लेकिन उसका ध्यान पहले आदिवासियों पर होना चाहिए. हम अपनी सांसों के लिए तब तक लड़ेंगे जब तक यह हमारी आबादी के प्रतिशत के बराबर न हो जाए.”

बीएपी ने शनिवार को अपना घोषणापत्र जारी किया. जिसमें उन्होंने आदिवासी लोगों को उनकी परंपराओं में वापस लाने की कई रणनीतियों में से एक के रूप में बांसवाड़ा में गोबिंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय में वेद विद्यापीठ को बंद करने का वादा किया है. इसके अलावा अंग्रेजी शराब, धार्मिक जुलूस और स्कूलों में धार्मिक गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध भी शामिल है.

बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने कांग्रेस पार्टी के समर्थन पर विवादों के कारण बीएपी की स्थापना की.

उन्होंने कहा, “आदिवासी को ऐसे संस्थानों की ज़रूरत है जो हमारे वैज्ञानिक स्वभाव का विस्तार करें. हमने भीली भाषा अनुसंधान केंद्र के माध्यम से अपनी भाषा को बढ़ावा देने का वादा किया है जो सभी राज्य-विशिष्ट भाषाओं में सबसे पुरानी है.”

उन्होंने धार्मिक जुलूसों पर प्रतिबंध लगाने के वादे की दुहाई देते हुए कहा कि एक खास राजनीतिक दल ऐसे जुलूसों का इस्तेमाल सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए कर रहा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में उनका स्वागत नहीं है.

दोनों पक्ष शव सम्मान अधिनियम का विरोध करने पर सहमत हुए हैं, जो परिवार और अन्य लोगों को किसी भी मांग की पूर्ति के लिए शव के साथ विरोध करने से रोकता है.

घोगरा ने कहा, “इस तरह के कृत्य ने राज्य में आदिवासी लोगों की कमजोरियों को बढ़ा दिया है. समुदाय गंभीर अन्याय का सामना कर रहा है और शव के साथ विरोध प्रदर्शन सिर्फ गरीब आदिवासी लोगों पर उच्च जाति या व्यापारिक वर्ग द्वारा किए गए अन्याय का विरोध करने के लिए किया जाता है.”

वादों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षाओं से छूट शामिल है. घोगरा ने कहा कि आदिवासी हिंदू आस्था से अलग कानूनों का पालन करते हैं और बहुविवाह पर प्रतिबंध जैसी शर्तें हमारी संस्कृति के खिलाफ हैं. यह एक और कारण है कि आदिवासी आबादी अपनी संस्कृति को कमज़ोर होने से बचाने के लिए हमें वोट देगी.

इसके अलावा भारतीय आदिवासी पार्टी ने घोषणापत्र में 60 फीसदी बजट शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च, सिंचाई की व्यवस्था करवाना, बोर्ड परीक्षाओं में विद्यालय स्तर पर प्रथम रहने वाले छात्र-छात्राओं को हवाई यात्रा, वनाधिकार अधिनियम का आदिवासियों को लाभ दिलाने का काम, प्रत्येक ब्लाक पर निशुल्क कोचिंग व लाइब्रेरी की व्यवस्था, भीली बोली भाषा बोर्ड का गठन  करना, टीएडी का अलग से केडर बनवाने सहित 21 मुद्दों को शामिल किया है.

वहीं इस मौके पर पार्टी के नेताओं ने बताया की राजस्थान में चुनाव में अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है और सहयोग से सरकार बनाने की बात आएगी तो जो पार्टी उनके मुद्दों को पूरा करने की बात करेगी उस पार्टी को समर्थन देने की भी बात कही है.

दो महीने पहले गठित बीएपी पहली बार चुनाव लड़ रही है. जबकि बीटीपी ने 2018 के चुनावों में 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था. दो पर जीत हासिल की थी और अन्य दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही.

राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. राजस्थान के 8 जिलों में रहने वाली अनुसूचित जनजाति की संख्या 45.51 लाख है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो आंकड़े साफ इशारा करते हैं कि जिस दल ने आदिवासी सीटों पर कब्जा जमाया है राजस्थान में उसी पार्टी की सरकार बनी है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments