हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने का बिल बुधवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया. यह बिल लोकसभा में बीते वर्ष 16 दिसंबर को ध्वनिमत से पारित हुआ था. दोनों सदनों से बिल पारित होने के बाद अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
14 सितंबर 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने को मंजूरी प्रदान की थी. यह मांग दो लाख लोगों से जुड़ी है, जिसका इंतजार समुदाय के लोग पिछले पांच दशक से कर रहे हैं.
इस बिल पर हुई बहस का जवाब देते हुए आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में गिरी नदी के पार इलाके में रहने वाला हाटी समुदाय के जातीय समूहों को अनसूचित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय के लोग जिस इलाके में रहते हैं जो 13000 फुट की उंचाई पर रहते हैं. अर्जुन मुंडा ने कहा कि ये लोग अपनी परंपरा और प्रथाओं को बना कर रखा है. उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि हाटी समुदाय के लोग पर्यावरण करीब रहते हैं. लेकिन दुर्गम क्षेत्रों में रहने की अपनी चुनौती भी होती है.
उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को लंबे समय तक न्याय नहीं मिल पाया लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब यह विधेयक आया है और यह जनजातीय समुदाय के कल्याण के प्रति मौजूदा केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को दिखाता है.
उन्होंने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश की आबादी के मुताबिक वहां अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या साढ़े तीन लाख थी और हाटी समुदाय को मिलाकर यह संख्या साढ़े पांच लाख हो जाएगी.
इससे पहले, विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल की ममता मोहंता ने कहा कि हाटी समुदाय की तरफ से वह इस विधेयक के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त करती हैं. उन्होंने कहा कि यह समुदाय जनजाति तालिका में स्थान पाने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है.
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज इस बिल को पास कराने के लिए गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे.
हिमाचल प्रदेश के हाटी नेताओं ने राज्य सभा से यह बिल पास होने पर खुशी जताई है.
इससे पहले यह बिल लोकसभा में बीते वर्ष 16 दिसंबर को ध्वनिमत से पारित हुआ था। दोनों सदनों से बिल पारित होने के बाद अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूचि में शामिल करने वाले बिल पर चर्चा उस समय हुई जब विपक्ष सदन में उपस्थित नहीं था.
यह बेहतर होता कि इस महत्वपूर्ण बिल पर विपक्ष को भी चर्चा में हिस्सा लेने का मौका दिया जाता.
कौन है हाटी समुदाय
हाटी समुदाय के लोग वो हैं, जो कस्बों में ‘हाट’ नाम के छोटे बाजारों में सब्जियां, फसल, मांस या ऊन आदि बेचने का परंपरागत काम करते हैं. हाटी समुदाय के पुरुष आम तौर पर एक सफेद टोपी पहनते हैं. ये समुदाय हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गिरी और टोंस नदी के बसे हुए हैं और जौनसार बावर क्षेत्र में भी इनका विस्तार है. ये एक वक्त में कभी सिरमौर शाही संपत्ति का हिस्सा थे.
सिरमौर और शिमला क्षेत्रों में लगभग नौ विधानसभा सीटों पर हाटी समुदाय की अच्छी उपस्थिति है. उनकी आबादी सिरमौर जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों – शिलाई, पांवटा साहिब, श्री रेणुकाजी और पछड़ (शिमला लोकसभा सीट के सभी हिस्से) में केंद्रित है. अब इस फैसले से ट्रांस गिरी क्षेत्र की 154 पंचायतों की करीब तीन लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी.
हाटी लोग 1967 से एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहे थे. जब उत्तराखंड के जौनसार बावर में रहने वाले हाटी लोगों को आदिवासी का दर्जा दिया गया था, जिसकी सीमा सिरमौर जिले से लगती है.