HomeAdivasi Dailyबर्बरता की इंतिहा: आदिवासी लड़के को सलाख़ों से दाग़ दिया

बर्बरता की इंतिहा: आदिवासी लड़के को सलाख़ों से दाग़ दिया

आदिवासियों को असभ्य कहने वाला समाज उनके साथ बर्बरता करता है. इस तरह के कितने अपराध सामने आते हैं जो इंसानियत को शर्मसार करते हैं.

महाराष्ट्र में तीन आदिवासी लड़कों को गर्म सलाख़ों से जला कर तड़पाया गया. महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले के मेलघाट इलाक़े में तीन आदिवासी लड़के मछली पकड़ने गए थे. लेकिन वहाँ पर फ़ॉरेस्ट गार्ड ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बाद फ़ॉरेस्ट गार्डों ने इन लड़कों को लोहे की गर्म सलाख़ों से जला कर बुरी तरह से तड़पाया गया. 

मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि वहीद खान नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने घायल आदिवासी लड़के को इलाज के लिए ज़िला के उप जिला अस्पताल तक पहुँचाया.

इस लड़के ने अपनी आपबीती सबको बताई है. सामाजिक कार्यकर्ता फ़ॉरेस्ट गार्डों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं. जबकि वन विभाग के कर्मचारी ऐसी किसी घटना से ही इंकार कर रहे हैं. 

हालाँकि वन विभाग ने यह माना है कि उस गाँव के दो लोग अभी भी उनकी हिरासत में हैं. 

क़ानूनी अधिकारों के लागू होने पर भी सवाल है

फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 के प्रावधान यह कहते हैं कि आदिवासियों और जंगल में रहने वाले समुदायों को लघु वन उपज पर पूरा अधिकार है. इसके अलावा वहाँ के नदी-नालों पर भी आदिवासियों का हक़ है.

इसलिए किसी भी जंगल में वहाँ के निवासियों को फल-फूल जमा करने से नहीं रोका जा सकता है. इसके अलावा पोखर या नदियों से आदिवासियों को मछली पकड़ने से भी मना नहीं किया जा सकता है. लेकिन अक्सर आदिवासी यह बताते हैं कि जंगल में और ख़ासतौर से आरक्षित जंगल में उन्हें घुसने से रोका जाता है.

मेलघाट कुपोषण के लिए बदनाम

महाराष्ट्र का मेलगाट इलाक़ा कुपोषण से बच्चों की मौत के लिए बदनाम है. यहाँ पर स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है. जुलाई महीने में मीडिया रिपोर्ट्स में पता चला था कि मेलघाट में महज तीन महीने में 52 बच्चों की मौत हो गई है. जिन बच्चों की मौत हुई उनमें 17 शिशु शून्य से छह साल की उम्र के 35 बच्चे शामिल हैं. 

इसके अलावा यह भी पाया गया कि 409 बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं. प्रशासन की तरफ़ से यह दावा किया गया है कि धरनी और चिखलदरा तालुका में इन बच्चों को बचाने के लिए आंगनबाडी केंद्रों से एमाइलेज युक्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का अभियान जारी है. 

यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि बॉम्बे हाईकार्ट की निगरानी में धरणी और चिखलदरा तालुकों में कुपोषण से निजात पाने की योजनाओं को लागू किया जा रहा है. 

इन दोनों तालुकों में बाल विकास परियोजना कार्यालय के तहत 425 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्र स्तनपान कराने वाली गर्भवती माताओं और शून्य से छह वर्ष की आयु के बच्चों को पका हुआ पौष्टिक भोजन प्रदान करते हैं. 

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, धरणी और चिखलदरा तालुका में कुल 1452 बच्चों का जन्म हुआ. इनमें अप्रैल 2022 में 610, मई में 422 और जून में 420 बच्चों का जन्म हुआ. इनमें से अप्रैल में 15, मई में 7, जून में 13 और जुलाई में 17 बच्चों की मौत हुई.

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