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मध्य प्रदेश: आदिवासी युवक को निर्वस्त्र कर पीटा, कमलनाथ ने शिवराज सरकार से किए सवाल

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के गुन्नोर तहसील में कुछ हफ़्ते पहले एक आदिवासी के साथ प्राइवट बस में मार पीट हुई थी. यह वीडियो क्रांगेस पार्टी के नेता द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई थी. जिसके बाद यह वीडियो सोशल मीडियो में खूब वायरल भी हुई. भारत में सबसे ज़्यादा आदिवासी मध्य प्रदेश में ही रहते हैं. और मध्य प्रदेश से ही आदिवासियों के साथ कोई ना कोई घटना आए दिन सुने को मिलती रहती है.

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के गुन्नौर में एक आदिवासी युवक को निर्वस्त्र कर पीटने का मामला सामने आया है. एक निजी अंतरराज्यीय बस सेवा में क्लीनर के रूप में काम करने वाले एक आदिवासी युवक को एक यात्री और उसके साथी ने बस के कंडक्टर के साथ मिलकर निर्वस्त्र कर पीटा.

इस घटना के वीडियो को कांग्रेस पार्टी के एक नेता द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई थी. जिसके बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई.

मध्य प्रदेश कांग्रेस की एक सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए पन्ना के पुलिस अधीक्षक साईं कृष्णा थोटा ने कहा कि घटना के तुरंत बाद गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.

गुन्नौर के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (SDOP) एडविन कैर ने पुष्टि की कि सात लोगों के खिलाफ मारपीट और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने (क्योंकि घटना के दौरान आरोपियों ने बस की विंडशील्ड और खिड़कियां तोड़ दी थीं) का मामला दर्ज किया गया है. मुख्य आरोपी साजुल सिंह परमार को गिरफ्तार कर लिया गया है. अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है.

क्या है मामला?

यह घटना सोमवार तड़के हुई और सोमवार रात को एक वीडियो (सीसीटीवी ग्रैब) वायरल हो गया. जिसमें रिंकू कोल, बस कंडक्टर उमेश तिवारी और दो यात्रियों के रूप में पहचाने गए लोगों को निर्वस्त्र करते और पीटते हुए दिखाया गया है.

सूत्रों के मुताबिक आरोपी साजुल सिंह परमार ने गुजरात के भरूच से पन्ना के गुन्नौर के शंकरगढ़ आने के लिए बस में टिकट बुक कराया था. बस पन्ना स्थित एक प्राइवेट एजेंसी द्वारा संचालित की जाती है.

बस में चढ़ने के बाद परमार ने कथित तौर पर अपने लिए एक अलग सीट की मांग की थी. जिसे कंडक्टर तिवारी ने देने से मना कर दिया. इससे उनके बीच बहस होने लगी.

सोमवार सुबह करीब 3 बजे जब बस शंकरगढ़ पहुंची तो परमार ने अपने कुछ सहयोगियों को मौके पर बुलाया और उन्होंने कथित तौर पर शराब खरीदने के लिए तिवारी से पैसे की मांग की. मना करने पर उन्होंने तिवारी के साथ-साथ कोल की भी पिटाई की और उनके कपड़े भी उतार दिए.

सूत्रों ने बताया कि बीच-बचाव करने की कोशिश करने वाले दो यात्रियों को भी पीटा गया और बस को नुकसान पहुंचाने से रोकने की कोशिश करने पर ड्राइवर को जान से मारने की धमकी दी गई.

एमपी कांग्रेस ने पीड़ित रिंकू कोल का एक वीडियो भी साझा किया. जिसमें कोल ने कहा कि उसे बिना किसी गलती के कपड़े उतारकर पीटा गया और उसके ‘मैनेजर’ (कंडक्टर) को भी पीटा गया. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपना काम कर रहे थे और उन्होंने आरोपी यात्री को कुछ नहीं कहा, फिर भी उनके साथ मारपीट की गई.

वहीं इस मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो आदिवासियों की दुश्मन है, आखिर क्यों प्रदेश में इस तरह की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है.

कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पन्ना जिले के गुन्नौर में एक दर्जन लोगों ने एक बस में आदिवासी युवक को निर्वस्त्र कर बुरी तरह पीटा। शिवराज के शर्मनाक राज में 18 साल में एक ऐसा भाजपाई तंत्र खड़ा किया है जो “आदिवासियों का दुश्मन” है. मध्य प्रदेश “अत्याचारी शिवराज” से जवाब माँगता है:

1.आखिर क्या वजह है कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों के ऊपर अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं ?

2. क्यों आपके राज में सीधी में एक भाजपा नेता एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करता है ?

3. क्यों आपके राज में एक आदिवासी युवक को नीमच में गाड़ी से बांधकर घसीट कर मार डाला जाता है ?

4. क्यों आपके राज में नेमावर में आदिवासी बच्ची को परिवार के पांच सदस्यों के साथ जमीन में जिंदा गाड़ दिया जाता है?

5. क्यों आपके राज में मध्य प्रदेश आदिवासी अत्याचार में नंबर वन राज्य बन जाता है ?

6. क्यों आपके राज में अजाक्स थानों के संचालन के लिए मिलने वाली राशि रोक दी जाती है ?

  • कब जागोगे “अत्याचारी शिवराज”?
  • कब जागेगा आदिवासी विरोधी भ्रष्ट तंत्र?
  •  कब करोगे न्याय?
  • क्या पन्ना की घटना में पीड़ित युवक और उसके परिवार से भाजपाई माफ़ी माँगे.
  • हमेशा की तरह इस घटना में लीपापोती करने के बजाय क्या अपराधियों को 24 घंटे में सजा देंगे ?

जान लो, आदिवासियों पर अत्याचार करने के लिए भगवान भी तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेंगे। झोला उठा कर जाने कि तैयारी कर लो.

भारत में सबसे ज़्यादा आदिवासी आबादी मध्य प्रदेश में ही है और यहां से ही आए दिन आदिवासियों के साथ कोई ना कोई अपराध के मामले देखने को मिलते रहते हैं. जो कुछ महीनों से और बढ़ चुकी है.

आदिवासियों के साथ हो रही ज़्यादातर घटनाओं को लोगों तक पहुचंने में कई हफ़्ते या कई महीनों का समय लग जाता है. फिर जैसे ही यह घटनाएं वायरल होने लगती है तो राजनीति का केंद्र बन जाती है. लेकिन राजनीति का केंद्र होने के बावजूद भी इस पर प्रशासन द्वारा रोकने की कोशिश पर नाकामी ही देखने को मिलती है.

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